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कषाय- प्रतिसंलीनता (1)
कषाय के चार प्रकार हैं - १. क्रोध २. मान ३. माया ४. लोभ । क्रोध की दो अवस्थाएं होती हैं
१. अनुदित अवस्था
२. उदित अवस्था
साधनाशील व्यक्ति संकल्प के द्वारा क्रोध के उदय का निरोध कर सकता है और उदय प्राप्त क्रोध को विफल कर सकता है। ये दोनों कार्य क्रोध प्रतिसंलीनता के द्वारा किए जा सकते हैं।
कसायपडिसंलीणया चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहाकोहस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं ।
ओवाइयं ३७
२० मई २००६
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