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प्रतिसंलीनता (२) प्रतिसंलीनता का एक प्रकार है एकान्तवास। ध्यान साधना के लिए शब्द और कोलाहल से दूर रहना आवश्यक है। मन की एक अवस्था है चिंतन। उसके लिए भी एकान्त स्थान की अपेक्षा रहती है। ध्यान उससे भी अधिक सूक्ष्मता का प्रयोग है। ___एकान्तवास में पशुजगत्, प्राणिजगत् और मनुष्य समुदाय से आने वाले स्थान-विरोधी प्रकंपनों से बचा जा सकता है।
१७ मई २००६