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अपरिग्रह महाव्रत
अपरिग्रह महाव्रत में परिग्रह का विरमण किया जाता है।
अपरिग्रह महाव्रत की आराधना के लिए उपस्थित मुमुक्षु सर्व परिग्रह से विरति करता है। ____ वह गांव में, नगर में या अरण्य में कहीं भी, अल्प या बहुत, सूक्ष्म या स्थूल, सचित्त या अचित्त- किसी भी परिग्रह का ग्रहण स्वयं नहीं करता, दूसरों से परिग्रह का ग्रहण नहीं करवाता और परिग्रह का ग्रहण करने वालों का अनुमोदन भी नहीं करता।
पंचमे भंते! महव्वए परिग्गहाओ वेरमणं।
सव्वं भंते! परिग्गहं पच्चक्खामि से गामे वा नगरे वा रणे वा अप्पं वा बहुं वा अणुं वा थूलं वा चित्तमंतं वा अचित्तमंतं वा, नेव सयं परिग्गहं परिगेण्हेज्जा नेवन्नेहिं परिग्गहं परिगेण्हावेज्जा परिग्गहं परिगेण्हते वि अन्ने न समणुजाणेज्जा।
दसवेआलियं ४.१५
२६ अप्रैल २००६
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