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सम्यक् दर्शन सम्यक् दर्शन का अर्थ है-सत्य की आस्था, सत्य की रुचि। इसका संबंध संघ, गण और सम्प्रदाय से भी होता है। इसके पांच लक्षण है
१. शम-शांति २. संवेग मुमुक्षा ३. निर्वेद-अनासक्ति ४. अनुकंपा-करुणा ५. आस्तिक्य-सत्यनिष्ठा।
शम-संवेग-निर्वेदानुकम्पाऽऽस्तिक्यानि तल्लक्षणम्।
जैन सिद्धांत दीपिका ५.६
५ अप्रैल २००६