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पाठ १८ : कारक प्रकरण (कर्ता)
शब्दसंग्रह किं वदन्तिः , जनश्रुतिः (अफवाह) । परुषा (आक्षेप शब्द) । आमेडितम् (एक को दुबारा बुलाना)। खाकरिः (गधे की आवाज)। कल्हः (गले की आवाज) । सिंजितम् (गहने की आवाज)। चर्चरी, चर्डटी (गाडी की आवाज) । प्रतिध्वनिः (गूंज) । घोत्कार: (घुर्राटे)। घोषितम् (घोकना) । खरकः (चमडे की आवाज) । वाशितम् (चहचहाना)। वृंहितम् (चिंघाडना)। चीत्कारः (चिल्लाना) । कलाभाषणम् (तुतली आवाज)। नश्वरी (दीनता के शब्द)। कलरवादः (धीमी आवाज) । तुम्बुकः (नाक से बोलना)। रुशती (निंदा के शब्द)। मालुकी (प्रेम के शब्द)। हुति: (फिजूल बोलना) । लालकः (बच्चों की तरह बोलना)। क्वणनम्, क्वणितम् (वीणा के शब्द) । हक्कारः (बुलाना)। गद्गदः (भराई हुई आवाज)। शून्या (मोह की आवाज)। रंभणम्, तन्दनम् (गाय की आवाज)। लल्लरः (रुक कर बोलना) । जांगली (लोभ की आवाज)। खंडिता (विरह की आवाज)। भीरिता (शोक की आवाज) । आख्यानी (संदेश के शब्द)। घुघुरी (सूअर की आवाज) । कल्या (हित की आवाज)।
(धातु) अञ्चु-गतो (अञ्चति) जाना और पूजा करना । हू - कौटिल्ये (हूच्छंति) कुटिलता करना । मुर्छा-मोहसमुच्छाययोः (मूर्च्छति) मूच्छित होना । एज-कम्पने (एजति) कम्पन होना।
धीर्, वाच, सरित् शब्दों को याद करो (देखें परिशिष्ट १ संख्या २१, २३, ६४)।
अञ्चु और एज़ धातु के रूप याद करें (देखें परिशिष्ट २ संख्या ५८,५६) । हूर्छा और मूर्छा के रूप समान चलते हैं।
कारक क्रिया के साथ जिनका सीधा संबंध (अन्वय) होता है उन शब्दों को या क्रिया के होने में जो निमित्त बनते हैं उनको कारक कहते हैं। कारक छह हैं-(१) कर्ता (२) कर्म (३) साधन (करण) (४) दानपात्र (सम्प्रदान) (५) अपादान (६) आधार।
ये सब कारक दो प्रकार के होते हैं-मुख्य (उक्त) और गौण (अनुक्त)। जिस कारक के अर्थ में प्रत्यय होता है वह कारक मुख्य