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पाठ ६९: णक, तृच्, तृन् प्रत्यय
शब्दसंग्रह (णक, तृच्, तृन् प्रत्यय के रूप ) भावक:, भविता (भू) होने वाला । पायकः, पाता (पा) पीने वाला गामक:, गन्ता ( गम् ) जाने वाला | वन्दकः, वन्दिता (वदिङ) वंदना स्तुति करने वाला । कारक:, कर्ता (कृ) करने वाला । आदक:, अत्ता (अद्) खाने वाला । यायकः, याता (यांक्) जाने वाला । अध्यायकः, अध्येता ( इं ) पढने वाला। रोदकः, रोदिता ( रुद्) रोने वाला । जागरकः, जागरिता (जागृ) जागने वाला । वेदक:, वेत्ता (विद्) जानने वाला । घातकः, हन्ता (हन्) मारने वाला । भावक:, भविता ( अस्) होने वाला । शायक:, शयिता (शी) सोने वाला । आसक:, आसिता ( आस्) बैठने वाला । स्तावकः, स्तोता (ष्टु) स्तवना करने वाला । वाचक:, वक्ता (ब्रू) बोलने वाला । दोहक:, दोग्धा (दुह ) दुहने वाला । भायक:, भेता ( भी डरने वाला # दायक:, दाता (दा) देने वाला । नर्तकः, नर्तिता (नृत्) नाचने वाला । नाशकः, नष्टा (ण) नष्ट करने वाला | बोधकः, बोद्धा ( बुध) जानने वाला ! मानक:, मन्ता ( मन्) मानने वाला । रज्जक:, रङ्क्ता (रज्) राग करने वाला । श्रावकः, श्रोता ( श्रु) सुनने वाला । प्रच्छकः प्रष्टा (प्रच्छ्) पूछने वाला । मारकः, मर्ता (मुंज) मारने वाला । रोधकः, रोद्धा (रुध् ) रोकने वाला । भेदकः, भेत्ता (भिद्) भेदन करने वाला । पेषकः, पेष्टा (पिष्) पीसने वाला । तानक:, तनिता ( तन्) फैलाने वाला । ज्ञायक:, ज्ञाता (ज्ञा) जानने वाला | ग्राहकः, ग्रहिता ( ग्रह ) चोरिता (चुर्) चुराने वाला । हारकः, हर्ता (ह) णक, तृच्, तृन् प्रत्यय
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ग्रहण करने वाला । चोरकः, हरण करने वाला ।
णक प्रत्यय कर्ता में होता है और सब धातुओं से होता है । हिन्दी में 'वाला' के अर्थ में होता है । कारक, पाठकः । इसका अर्थ होता है करने वाला, पढने वाला । इसके रूप पुल्लिंग में जिन की तरह चलते हैं । क प्रत्यय भाव में होता है वहां वह स्त्रीलिंग में होता है । उसके योग में षष्ठी विभक्ति होती है । जैसे - भवतां आसिका । भवतां शायिका ।
तृच् और तृन् प्रत्यय भी कर्ता में होते हैं । तृच् और तृन प्रत्ययों के रूप समान बनते हैं । उनकी पहचान विभक्ति से होती है । तृच् के योग में षष्ठी विभक्ति और तृन् के योग में द्वितीया विभक्ति होती है । इनके रूप