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तद्धित ६
और पुंस शब्द से स्नञ् प्रत्यय विकल्प से होता है । स्त्रियाः अपत्यं-स्त्रैणः । स्त्रीभ्यो हितं-स्त्रैणं । स्त्रीणां समूहः- स्त्रैणं । स्त्रीषु भवं स्त्रैणं । स्त्रीणां इयं-स्त्रैणी। स्त्रीणां निमित्तं संयोग उत्पातो वा स्त्रैणं । पुंस शब्द से (तस्याहे क्रियायां वत्) सूत्र से पहले सभी अर्थों में पौंस्नः रूप बनेगा। लिंग के अनुसार पुल्लिग, नपुंसक आदि परिवर्तन हो सकता है।
नियम ४१८-(पुरुषात् कृतहितवधविकारसमूहेष्वेयञ् ६।६।३४) पुरुष शब्द से कृत, हित, वध, विकार, समूह अर्थ में एयञ् प्रत्यय होता है। पुरुषेण कृतः = पौरुषेयः ग्रन्थः । पुरुषाय हितं --पौरुषेयं पथ्यं । पुरुषाणां वधः विकारः, समूहो वा पौरुषेयः ।
नियम ४१६- (गोः स्वरे यः ६।२।३०) गो शब्द से य प्रत्यय होता है । तद्धित प्रत्ययों के प्रसंग में य स्वर के समान होता है। गोरपत्यं गव्यं । गवि भवं गव्यं । गौ र्देवता अस्य गव्यः । गवा चरति गव्यः ।
प्रयोगवाक्य आग्नेयः कालेयश्च कोस्ति ? अद्य जनाः स्त्रैणं चिन्तयन्ति । स्त्रैणेषु अयं नरः कथं समायातः ? मह्य पौरुषेयः आगमः रोचते । गौ: गृहे पुनरागता परं गव्यः कुत्र गतः । बालकाय गव्यं क्षीरं देहि । बाल: दीव्यति । तन्तुवायः वस्त्राणि सीव्यति । बालिका अत्र ष्ठीव्यति क्षीव्यति वा । पिता पुत्राय कथं अक्रुध्यत् अकुप्यत् वा । विषयेषु मा लुभ्य । य: भूपः प्रजाः शुष्यति स: न प्रियो भवति । शिशुः वस्त्राणि दुष्यति । सीमायाः सुखदं संवादं श्रुत्वा तातः अतुष्यत् ।
संस्कृत में अनुवाद करो विस्तर पर कौन सोया है ? स्त्रियां घंघट क्यों रखती हैं ? क्षमा मुनियों का आभूषण है । रानी के हार को किसने चुराया ? सरोज को उसकी मां ने एक कनफूल, दो पायजेब, एक कंकण, एक कंठा और एक बुलाक दिया है। विवाहित स्त्रियां मांग में सिंदूर डालती हैं। दीपक कंघी से केश संवारता है । पुरुष चोटी नहीं करते । किरण पुत्र की आँखों में काजल डालती है। उसने कपडों में इत्र लगाया है। बहन भाई के तिलक करती है।
तद्धित के प्रत्ययों का प्रयोग करो अग्नि के लिए पानी शत्रु है। कलि का पुत्र कौन है ? इस रास्ते से स्त्रियों का समूह जा रहा था। स्त्रियों में कोमलता है। पुरुषों के लिए क्या कठिन है ? पुरुषों के दाढी और मूंछ होती है। यह स्त्रियों का कथन है ।। यह ग्रन्थ पुरुषों द्वारा बनाया गया है ।
धातु के प्रयोग करो यहां मत खेलो। मामी फटे वस्त्र सीती है। भीत पर नहीं थूकना