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________________ THATAMIL Rोनाहानामतीमानीयो' श्रीरामक रोमामाचरस प्रणमाईनिजपस्वारनरनिमा नयमचात्या मानापार। कबाटजातागिरीमटिंऽ७ उमादउदार पकायानोरोसउ4 नलिनिवारक०४मा यम्लरीवेयहाथ काटदीछीनाम रीसएमुफलामका अजक इंचमका १५ एमकताइटल नालीयारायनजायशक्षकालव लामफूटनगरनालोजायक - पमहेंउसदिंडनीयश्चिदिसपुत्रसमेaमामाहामुकिमानिनामविणहीक०७जनासयाकघरेस नदीमाचिरिबाटanजायै ललीताकोटिक० १८लकानिछालियडीयासचिननश्चायदोश्नी । Raमनलायाममनटलायक एब्नुमं5निवारकापनमुकठिणकारवामिनातोकामनाच एलगानीबार कण्मारलिझंएकावण मायकुलकृयजाय कामकारंजा करिसोबऊपलायका ALAN RANILERNATUTE PिDATE हनुमान द्वारा बताए हुए मार्ग से राम वानर सेना के साथ लंका की ओर जा रहे हैं। रामयशोरसायनरास (मुनि देशराज) से श्रीमान् बाबू सुबोधकुमार जैन (आरा, बिहार) के सौजन्य से प्राप्त। (दे. पृष्ठ सं. ६)
SR No.032394
Book TitleJain Pandulipiya evam Shilalekh Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherFulchandra Shastri Foundation
Publication Year2007
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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