________________
परमेष्ठियों को नमस्कार (करेदि) करता है [ वह] (दुक्ख - संदोहं) दुःख समूह को (णासेदि) नष्ट करता है [ तथा] (सव्वं सोक्खं) सर्व सुखों को (पावदि) पाता
है
1
अर्थ—जो त्रियोगों से पंच परमेष्ठियों को नमस्कार करता है, वह दुःख को नष्ट करता है तथा सभी कल्याणों (सुखों) को पाता है ।
समूह
58 :: सुनील प्राकृत समग्र