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भावार्थ - कुछ मूढ़ लोग मांस को ताकत देने वाला मानते हैं किन्तु ऐसा है नहीं। मांस से धान्यों-अनाजों में दस गुणा अधिक ताकत होती है, धान्य से फल में, फल से दूध में, दूध से घी में तथा घी से पानी में अधिक-अधिक गुण पाये जाते हैं । पानी सबसे गुणवान इसलिए कहा गया है, क्योंकि पानी के बिना प्राणी जीवित नहीं रह सकते। पानी के पर्यायवाची नामों में इसे जीवन और अमृत भी कहा है। अतः पानी की एक बूँद का भी मूल्य समझना चाहिए ।
इनसे शीघ्र ही यह होता है
झत्ति पण्णाहरी तुंडी, झत्ति पण्णाकरी वचा ।
झत्ति सत्तीहरी इत्थी, झत्ति सत्तीकरो जलं ॥142 ॥
अन्वयार्थ - ( झत्ति पण्णाहरी तुंडी) तुण्डी शीघ्र बुद्धि को हरती है (झत्ति पण्णाकरी वचा) बच शीघ्र बुद्धि बढ़ाने वाली है (झत्ति सत्तीहरी इत्थी) स्त्री शीघ्र ही शक्ति को हरने वाली है [ और ] (झत्ति सत्तीकरं जलं ) पानी शीघ्र शक्ति - कर है ।
भावार्थ - तुंडी - कुंदरू (एक प्रकार की वनस्पति) शीघ्र बुद्धि का नाश करने वाली है। बच (एक प्रकार की काष्ठ औषध में काम आने वाली सूखी लकड़ी) शीघ्र बुद्धि बढ़ाने वाली है । स्त्री सेवन शीघ्र शक्ति हरने वाला तथा जल शीघ्र शक्ति प्रदान करने वाला है ।
जीभ का प्रमाण करो
पमाणं जाणह जिब्भे ! भोयणे भासणे विय।
अइ-भुत्ती अइ उत्ती, झत्तिं पाणावहारिणी ॥143 ॥
अन्वयार्थ - ( जिब्भे !) हे जिह्वा ! ( भोयणे) भोजन में (य) और ( भासणे) भाषण में (पमाणं जाणह) प्रमाण को जानो (वि) क्योंकि ( अइ-भुत्ती अइ - उत्ती ) अधिक खाना, अधिक बोलना ( झत्तिं पाणावहारिणी) शीघ्र प्राणनाशक है।
भावार्थ - हे जीभ ! तुम भोजन करने में और भाषण करने में प्रमाण को जानो अर्थात् कम खाओ और कम बोलो; क्योंकि अधिक भोजन करना तथा अधिक बोलना कभी अचानक प्राणघातक भी बन जाता है। कम खाना गम खाना, न हकीम के जाना न हाकिम के जाना ।
पानी की विशेषताएँ
अजिणे भेसजं णीरं, जिणे णीरं बलप्पदं ।
भोयणे अमिदं णीरं, भोयणंते विसं हवे ॥144 ॥
अन्वयार्थ - (अजिणे भेसजं णीरं) अजीर्ण में पानी औषधि है (जिणे णीरं बलप्पदं) जीर्ण में पानी बलप्रद है ( भोयणे अमिदं णीरं) भोजन में पानी अमृत है [और] (भोयणंते विसं हवे ) भोजन के अन्त में विष होता है ।
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