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________________ परिशिष्ट - ३ पूज्यपाद आगमोद्धारक श्रीजी के चातुर्मासों तथा विशिष्ट प्रसंगो की रूपरेखा वि सं १९४७ में सौराष्ट्र के लिंबडी गाँव में पूज्यवर्य श्री झवेरसागरजी महाराजश्री के वरद हस्तों से दीक्षा और वहीँ चातुर्मास । वि. सं. १९४८ पूज्य गुरुदेवका स्वर्गारोहण और अहमदाबाद में चातुर्मास । वि. सं. १९४९ उदयपुर (मेवाड़) में चातुर्मास - श्री आलमचंदजी के पास विद्याध्ययन, शेषकाल में ग्राम्यप्रदेश में बिहार । वि. सं. १९५० पाली में चातुर्मास और ठाणांग सूत्रका सभा में वाचन । स्थानकवासियों का पराभव, अमूर्तिपूजकों के आक्रमण से मूर्तिपूजकों की रक्षा | वि. सं. १९५१ सोजत ( राजस्थान) में चातुर्मास, अपूर्व धर्मजागृति, धर्म के बीज सुदृढ बनाये । वि. सं. १९५२ पेटलाद में मुनिराज जीवविजयजी महाराज (पूर्वावस्था में पिताजी ) की सेवा और उनका स्वर्गारोहण | संवत्सरी महापर्व की शास्त्रीय परंपरा के आधार पर संघसहित आराधना, तपस्वियों को सेठ मनसुखभाई भगुभाई की ओर से सुवर्ण की अंगूठी की प्रभावना |
SR No.032387
Book TitleAgamdharsuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherJain Pustak Prakashak Samstha
Publication Year1973
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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