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________________ आगमधरसरि गया है। हाँ, एक कोने को छोड़ कर सभी ओर से एक अंग पोछने का पर नीचे से निकल सके उतनी जगह बाकी है। आगामी २५-५० वर्षों बाद तो इतना भी शेष रहेगा या नहीं यह शंकास्पद है। ___इस तीर्थ की यात्रा के लिए आता हुआ पाद-विहारी संघ तीर्थ की तलहटी में पहुँचा। संघ के पहुंचने से पहले कलिकाल ने एक भयानक उपसर्ग को वहां भेज दिया था। संघ को कल्पना भी नहीं थी कि शान्ति के धाम रूप तीर्थ स्थान में दुष्टे के द्वारा अशांति की भग्नि प्रज्वलित की जाएगी। - दिगंबरों का दंगल पाद-विहारी संघ के हृदय में उम्र राज आनन्द . था। तीर्थप्रवेश की स्वागतयात्रा चल रही थी। पूज्य मुनीश्वर श्री आगमाद्धारकजी को लेने तथा उनके दर्शनार्थ अनेक आगन्तुक इस स्वागतयात्रा में शामिल हुए थे। संघ के साथ एक कलामय रथाकार जिनमदिर था। यह जंगम मंदिर इस लिए साथ रखा गया था कि बीच के स्थानों पर धर्म-प्रेमी मात्माओंको प्रभु के दर्शन का विरह न सहना पडे और भगवान् की भक्ति हो सके। स्वागतयात्रा जिनमदिर के पटांगण में पहुँची। जब जंगम काष्ठ मंदिर के भगवान को पूजन-विधि के लिए जिनमदिर में ले जाया जाने लगा तब दिगंबर सम्प्रदाय के वस्त्रधारी धावकोंने इसका विरोध किया--"यह प्रतिमा मंदिर में नहीं ले जाने दी जाएगी।"
SR No.032387
Book TitleAgamdharsuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherJain Pustak Prakashak Samstha
Publication Year1973
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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