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नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं ८४४ जयपुर स्थानान्तरित कर दिया गया। स्वाध्याय संघ के स्थापना-काल से ही सर्वप्रथम स्वाध्यायी बनने वालों में यहाँ ।। के स्नातक श्री रिखबराजजी कर्नावट हैं तो संघ-संरक्षक माननीय श्री चांदमलजी सा कर्नावट संघ के वर्तमान अध्यक्ष ! श्री रतनलालजी बाफना , रत्नवंशीय शासनसेवा समिति के सदस्य श्री ज्ञानेन्द्र जी बाफना, श्री प्रसन्नचंद जी बाफना || आदि इसी विद्यालय के गौरवशाली स्नातक हैं। . श्री जैन सिद्धान्त शिक्षण संस्थान, महावीर उद्यान पथ, बजाज नगर, जयपुर
संस्कृत, प्राकृत , दर्शन व न्याय के ज्ञाता जैन धर्म-दर्शन के मर्मज्ञ विद्वानों की कमी दूर करने के महान् लक्ष्य ! से सम्यग्ज्ञान प्रचारक मंडल के अन्तर्गत, जयपुर में १६ नवम्बर १९७३ को इस संस्थान की स्थापना की गई एवं इसके अधिष्ठाता पद का महनीय दायित्व जैन धर्म एवं दर्शन के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान् श्री कन्हैयालालजी लोढा को सौंपा गया।
यह एक आवासीय शिक्षण संस्थान है, जहाँ प्रतिभाशाली छात्रों के लिये जैनधर्म, दर्शन, प्राकृत व संस्कृत भाषा के अध्ययन, आवास व भोजन की समीचीन व्यवस्था है, साथ ही छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे, इस हेतु वे राजस्थान विश्वविद्यालय की स्नातक एवं स्नातकोत्तर परीक्षाएँ उत्तीर्ण कर सकें, ऐसा प्रावधान है। संस्थान में अब तक ९० छात्रों ने प्रवेश लिया है जिनमें से ५० छात्रों ने धार्मिक-शिक्षण में विशेष योग्यता अर्जित की है। वर्तमान में संस्थान में ११ छात्र अध्ययनरत हैं। संस्थान के छात्र अहमदनगर पाथर्डी की विशारद से आचार्य तक धार्मिक परीक्षाएँ तथा समता भवन, बीकानेर की परीक्षाएँ अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करते रहे हैं। अब संस्थान का अपना पाठ्यक्रम है। यहाँ छात्रों की दिनचर्या एवं अनुशासन पर पूरा ध्यान दिया जाता है। संस्थान का प्रारम्भ रामललाजी के रास्ते स्थित बड़ी गुवाड़ी में हुआ था, जो सन् १९७७ में बजाजनगर में अ.भा. श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री लाभचन्दजी लोढा के द्वारा अपने लघु भ्राता श्री विजयमलजी लोढा की स्मृति में निर्मित भवन (साधना-भवन) में स्थानान्तरित हो गया।
संस्थान के प्रतिभाशाली स्नातकों में डॉ. धर्मचन्द जैन (सम्प्रति एसोशियेट प्रोफेसर-संस्कृत विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर), श्री गौतमचन्द जैन (जिला रसद अधिकारी), श्री जम्बूकुमार जैन (लेखाकार राजस्थान | सरकार), श्री पारसमल चौधरी (सी.ए), श्री धर्मेन्द्र कुमार जैन (व्याख्याता), श्री अशोक कुमार जैन (श्रम निरीक्षक), श्री
अशोक कुमार जैन (निजी सहायक), श्री पवनकुमार जैन (आरपी.एस.), श्री सुशील कुमार जैन (व्याख्याता), श्री हेमन्त कुमार जैन (व्याख्याता) आदि प्रमुख हैं। यहाँ से निकले कई छात्र सी.ए. हैं । संस्थान के विकास में उदारमना सुश्रावक श्री इन्दरचन्दजी हीरावत, प्रखर चिन्तक श्री श्रीचन्दजी गोलेछा, संघ-संरक्षक श्री नथमलजी हीरावत, श्री टीकमचन्दजी हीरावत, माननीय श्री डी.आर. मेहता सा. का विशिष्ट सहयोग व मार्गदर्शन रहा है। वर्तमान में वरिष्ठ स्वाध्यायी श्रीमती शान्ता जी मोदी का मार्गदर्शन प्राप्त है। श्री जम्बू कुमार जी जैन एवं श्री सुशील कुमार जी जैन अपनी अध्यापन सेवाएं दे रहे हैं। . श्री महावीर जैन स्वाध्याय विद्यापीठ, भीकमचन्द नगर, पिंप्राला राड जलगाँव
___ सम्राट् सम्प्रति ने देश-विदेश में जिन-धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु अपने विपुल वैभव का उपयोग कर जिन शासन की महती प्रभावना की। युगमनीषी इतिहास मार्तण्ड परम पूज्य आचार्यप्रवर पूज्य श्री हस्तीमलजी म.सा. के जलगांव वर्षावास में यह इतिहास बोध प्राप्त कर कर्मशील जनप्रिय राजनेता एवं उदारमना श्रीमन्त श्रेष्ठिवर्य श्री