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विषयानुक्रमणिका
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१.
३१५ ३५४
द्वितीय खण्ड : दर्शन खण्ड अमृत वाक् हस्ती उवाच
अनेकान्तवाद/स्याद्वाद ३५४, अनर्थदण्ड ३५५, अशुभ, शुभ और शुद्ध ३५५, अहंकार ३५५, अहिंसा/हिंसा ३५६, अहिंसा व्रत ३५७, आचरण/चारित्र ३५८, आजीविका ३५९, आत्म गुणों की उपेक्षा ३६०,आत्मशक्ति ३६०, आत्म स्वरूप ३६१, आदर्श एवं यथार्थ ३६१, आरम्भ-परिग्रह ३६१, आसक्ति-अनासक्ति ३६२, आहार-शुद्धि ३६२ ईश्वर/सृष्टि ३६३, उपवास ३६४, एकता ३६५ कर्मवाद ३६५, कषाय ३६६, कार्यकर्ता ३६७, कार्य-कारण (उपादान-निमित्त) ३६८, काल का सदुपयोग ३७०, क्रोध निग्रह ३७०, गर्भपात ३७१, गुणदृष्टि ३७१, गुरु ३७१ चोरी ३७२, जल-रक्षण ३७३, जिनवाणी ३७३, जीवन की दौड़ ३७३, जीवन-निर्माण ३७४, जैन धर्म ३७४, ज्ञान/अज्ञान ३७५, ज्ञान एवं वैराग्य ३८३, ज्ञान-पिपासा ३८३, ज्ञान पंचमी ३८४ तप ३८४, तप के भेद ३८६, तप में प्रदर्शन ३८७, तृष्णा ३८७, त्याग ३८८, त्याग-तप ३८८, दहेज -प्रथा ३९०, दया ३९१, दान ३९१, दीक्षा ३९३, दुःख-मुक्ति ३९४, दृढ-संकल्प ३९४, द्रव्य और पर्याय का अध्यात्म ३९४, धन और धर्म ३९६, धर्म ३९७, धर्मनायक ३९८, धर्मप्रचारक ३९८, धर्मप्रेरणा ३९८, धर्म में बाधकता ३९९, धर्म रुचि ३९९, धर्म साधना ४००, धर्म सेना ४०३, धर्मस्थान में अनुशासन ४०३, ध्यान/योग साधना ४०४, नारी ४०५,, नारी शिक्षा ४०६ परमात्मा ४०६, परिग्रह ४०६, परिग्रह-परिमाण ४१०, परिवार ४१२, पर्युषण ४१३, पुरुषार्थ ४१५, पौषध ४१६,प्रचार-प्रसार ४१७, प्रतिक्रमण ४१८,प्रदर्शन ४१९, प्रमाद ४२१,प्राणि-रक्षा ४२२, प्रामाणिकता ४२२, प्रायश्चित्त ४२३, प्रार्थना/स्तुति ४२३, फैशन ४२७, बदलाव ४२७, ब्रह्मचर्य ४२८, भक्ति ४३०, भगवान महावीर ४३०, मनोनियन्त्रण ४३१, ममत्व त्याग ४३२, माताएँ ४३२, मानव ४३२, मिथ्यात्व ४३३, मुमुक्षु ४३३, मोक्ष - मार्ग ४३३ युवक/युवक संघ ४३५, रक्षा-बंधन ४३५, राजनीति-अर्थनीति-धर्मनीति ४३५, लेखा-जोखा ४३६, वाणी का बल ४३६, वात्सल्य ४३७, विकथा ४३७, विद्वान् ४३७, विनय/विवेक ४३८, वीतरागता ४३८, व्यवहार और निश्चय ४३८, व्यसन ४४०, व्रत ४४० शास्त्र-ज्ञान ४४३, शास्त्रधारी सेना ४४३, शास्त्र-रक्षा ४४३, शिक्षा ४४४, शुक्लपक्षी ४४५, शोषण नहीं पोषण ४४५, श्रमण जीवन/साधक जीवन ४४५, श्रावक कर्तव्य ४५०, षट्कर्म ४५१, संघ ४५१, संयम ४५३, संत-सेवा/सत्संग ४५४, संस्कार ४५५, संस्कृति-रक्षण ४५७, समाज-एकता ४५८, समाजसुधार ४५८, समाज-सेवा/सेवा ४६१, समाधि-मरण ४६३, सहिष्णुता/सर्वधर्म-सहिष्णुता ४६४, साधर्मि-सेवा ४६५, सामायिक ४६६, स्वाध्याय ४७४, स्वाध्याय का लक्ष्य ४८०, स्वाध्याय-संघ ४८१. स्वाध्यायी ४८१, हिंसा का विरोध ४८३
१. अध्यात्मयोगी युगशास्ता गुरुदेव २. गुणरत्नाकर महापुरुष
ज्योतिर्धर आचार्य दूसरा कोई उदाहरण नहीं
तृतीय खण्ड : व्यक्तित्व खण्ड (1) संस्मरणों में झलकता व्यक्तित्व
आचार्यप्रवर श्री हीराचन्द्रजी म.सा. उपाध्यायप्रवर श्री मानचन्द्रजी म.सा. उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म.सा.
पं. रल श्री घेवरचन्दजी म.सा.
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