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________________ नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं उपस्थित सभी श्रावकों ने 'श्रमण भगवान महावीर स्वामी की जय' 'क्रियोद्धारक आचार्य श्री रत्नचन्द्र जी म.सा. की जय', 'आचार्य श्री शोभाचन्द्रजी म.सा. की जय' एवं 'आचार्य श्री हस्तीमलजी म.सा. की जय' के जय-निनादों के साथ इसका सहज अनुमोदन कर अपने को गौरवान्वित अनुभव किया। इस समय समाज के अग्रणी श्रावकों में श्री चन्दनमलजी मुथा-जोधपुर, श्री रतनलाल जी नाहर-बरेली, श्री मुन्नीमलजी सिंघवी-जोधपुर , श्री भंवरीलालजी मूसल-जयपुर, श्री छोटमलजी डोसी जोधपुर, श्री नवरत्नमलजी भाण्डावत-जोधपुर, श्री शम्भुनाथजी मोदी-जोधपुर, श्री | केशरीमलजी कोठारी-जयपुर भी उपस्थित थे। संघ द्वारा चरितनायक को इस सम्बन्ध में निवेदन किए जाने पर उन्होंने ५ वर्ष का समय अभ्यास के लिए दिया जाए, ऐसा फरमाया। उनकी भावना जानकर संघ के परामर्श से यह निर्णय लिया गया कि अन्तरिम समय के लिए वयोवृद्ध श्री सुजानमल जी महाराज को संघ-व्यवस्थापक और स्वामीजी | | भोजराज जी महाराज को उनका परामर्शदाता बनाया जावे। मनोनीत आचार्य के लघुवय होने पर भी सुज्ञ श्रावकों के सद्भाव और गुरुभक्ति से संघ की अन्तरिम काल में व्यवस्था निराबाध सुचारु चलती रही। ____ आचार्य श्री शोभाचन्द्रजी म.सा. के स्वर्गारोहण के अनन्तर विक्रम संवत् १९८३ के जोधपुर चातुर्मासावास के शेष साढे तीन मास संघ-व्यवस्थापक स्वामीजी श्री सुजानमलजी महाराज के प्रेरणादायी प्रवचनों, भावी संघ-नायक के प्राकृत, न्याय आदि के उच्चतर अध्ययन एवं आचार्य श्री शोभाचन्द्रजी म.सा. के मधुर जीवन प्रसंगों की स्मृति के साथ धर्माराधन को गति देते हुए सम्पन्न हुए। इस चातुर्मास में आचार्यश्री के अतिरिक्त ९ सन्त थे-(१) स्वामीजी श्री सुजानमलजी म.सा. (२) बाबाजी श्री भोजराजजी म.सा. (३) श्री अमरचन्दजी म.सा. (४) श्री लाभचन्द्रजी म.सा. (५) श्री सागरमलजी म.सा. (६) श्री लालचन्द्रजी म.सा. (७) मुनि श्री हस्तीमलजी म.सा. (८) श्री चौथमलजी म.सा. (९) श्री लक्ष्मीचन्द्रजी म.सा.। इस चातुर्मास के समापन के समय अजमेर में संवत् १९८३ की कार्तिक पूर्णिमा को संघ-व्यवस्थापक श्री सुजानमल जी म.सा. की व्यवस्था एवं आचार्य श्री हस्तीमलजी महाराज की आज्ञा से अजमेर में महासती श्री छोगाजी के पास १२ वर्ष की अवस्था में श्री सुन्दरकंवर जी की भागवती दीक्षा सम्पन्न हुई। महासती श्री सुन्दरकंवरजी आगे चलकर प्रवर्तिनी पद से विभूषित हुए।
SR No.032385
Book TitleNamo Purisavaragandh Hatthinam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain and Others
PublisherAkhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
Publication Year2003
Total Pages960
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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