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बहुत बार अध्यापक मित्र अपने-अपने प्रश्नों को लेकर आते हैं, आवेश में अपनी बात कहते हैं और कुमारपालजी बडे शांति से सुनते हैं, उनके आवेश को निकल जाने देते हैं। वह अध्यापक सुनाने के बाद संतोष मान लेता हैं । आधी समस्या सुलझ गई हो ऐसे भाव से वापस जाते हुए मैंने कई मित्रों को देखे हैं।
पिछले चार दशकों से विविध क्षेत्रों में सक्रिय इस व्यक्तित्व की सफलता का रहस्य समझना सरल नहीं है। यह सच है कि प्रत्येक व्यक्ति यश की कामना रखता है। डॉ. कुमारपाल देसाई को कई राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार, पदक मिल चुके हैं। यदि मात्र यश-पद की आकांक्षा होती तो वह अब तक पूर्ण हो चुकी है। लेकिन कहीं न कहीं समाज-जीवन के प्रति का दायित्वबोध उनकी यात्रा को विराम नहीं लगने देता। यह यात्रा शिखर की ओर इसी तरह बढती रहे, यही आकांक्षा है।
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अडिंग मन के धनी