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________________ ... ( २१०)----- विन्यास-इस के अन्तर्गत दुर्ग, राजधानी, सड़क निर्माण आदि का वर्णन किया गया है। द्वितीय भाग में सुरक्षा-व्यवस्था के अन्तर्गत परिखा, कोट, प्राकार, अट्टालक, गोपुर, प्रतोली आदि का वर्णन किया है। पष्टम अध्याय : “अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध इस अध्याय में शान्तिकाल में अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध एवं युद्धकाल में अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के अन्तर्गत दूत, दूत के गुण, दूतों के भेद, दूतों के कार्य, गुप्तचर तथा सामन्त शासकों के साथ सम्बन्ध का वर्णन किया गया है। युद्ध काल में अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के अन्तर्गत मण्डल-सिद्धान्त का वर्णन किया है । जैन पुराणों में पूर्ण-रूपेण वर्णन नहीं किया गया है। इसके अलावा परराष्ट्र नीति के अन्तर्गत षड्गुण्य मंत्र और परराष्ट्रनीति क्रियान्वित करने के चार उपाय आदि का वर्णन किया गया है । ___भारतीय राजनीति : जैन पुराण साहित्य संदर्भ में" विषय का दिग्दर्शन करने के पश्चात् अब हम बतायेंगे कि जैन पुराण साहित्य में राजनीति का जो स्वरूप दृष्टिगोचर होता है, उसमें और हिन्दू पुराणों तथा जैनेत्तर ग्रन्थों में क्या भेद है, इसके अलावा वह क्या नवीनता एवं विशेषता लिये हुए है । जैन पुराण साहित्यिक ग्रन्थों में राजा तथा राज्य की उत्पत्ति के विषय में जो चर्चा की गई है, वह हिन्दू पुराणों से कुछ अंश में, भिन्नता रखती है । जैन पुराणों में राज्थ की उत्पत्ति सामाजिक समझौते के फलस्वरूप हुई है । इसके साथ यह भी बताया गया है कि “राज्य देवी अश न होकर मानवीय संस्था थी।" इसका निर्माण प्राकृतिक अवस्था में रहने बाले युगलिकों द्वारा आपसी समझौते के आधार पर हुआ है। (आदि काल में युगलिक व्यवस्था थी) जबकि हिन्दू पुराणों में बहुधा राज्य को “दैवी अंश” के रूप में स्वीकार किया गया है, मानवीय संस्था को इतना महत्त्व नहीं दिया है । इसके अलावा परोक्ष रूप से राज्य की उत्पत्ति के दूसरे आधार भी माने गये हैं, तो भी ईश्वर को प्रधानता प्रदान की है। महाभारत, मनुस्मृति, शुक्रनीतिसार आदि ग्रन्थों में राज्य की उत्पत्ति में ईश्वर को प्रधानता दी गई है । जैन मान्यतानुसार राजा की उत्पत्ति सामाजिक अनुबन्ध के सिद्धान्तानुसार हुई है। महाभारत आदि ग्रंथों में भी राजा की उत्पत्ति
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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