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(ख) कोष
१२२
(1) राजकर व्यवस्था ( कानूनी टॅक्स) १२३ ( II ) करों के प्रकार १२६ (III) राजकोष को समृद्ध बनाने के उपाय १२६ (ग) सेना या बल (क) चतुरंगिणी सेवा के अंग
१२७
१२८
(I) पदाति सेना १२८ ( II) अश्व सेना १२६ ( III ) हस्ति सेना १३१ (IV) रथ सेना १३४
(ख) युद्ध
१३४
(I) युद्ध के कारण १३४ ( II ) युद्ध - नीति १३८ ( III ) प्रत्र
शस्त्र १४७ ।
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अध्याय ६ - ( क ) न्याय व्यवस्था
१४६ - १.६८ I न्याय स्वरूप एवं प्रकार १४६ ( II ) न्यायाधीश १.५१ (III) शपथ १५१
(ख) अपराध एवं दण्ड :
१५२
(I) चोरों के प्रकार १५६ (II) चोरी के प्रकार ( सेंध लगाना) १६० ( III ) चोरों के आख्यान १६१ (IV) जेलखाने (चार) १६३ (v) मुकद्दमें १६६ ।
अध्याय ७ - नगरादि-व्यवस्था
१६६ - १८०
(क) नगर- विन्यास
१६६
(I) दुर्ग १७१ (IIT) राजधानी १७३ ( III ) सड़क निर्माण १७५
(ख) सुरक्षा-व्यवस्था
(1) परिखा १७६ ( II ) कोट १७७ (IV) अट्टालक १७६ (V) गोपुर १७६ श्रध्याय ८- अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध
१७५
( III ) प्राकार १७७ प्रतोली १८०
१८१ - २०५
(क) शान्तिकाल में अन्तरर्राष्ट्रीय सम्बन्ध : (I) दूत १८७ ( II) दूत के गुण १८७ भेद १८८ (IV) दूतों के कार्य १८८ (V) (VI) सामन्त शासकों के साथ सम्बन्ध १९३ (ख) युद्ध काल में अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध ( 1 ) मण्डल सिद्धान्त १९६ ( II) परराष्ट्रनीति १६६ (III) परराष्ट्र नीति को क्रियान्वित करने के उपाय
०० उपसंहार एवं निष्कर्ष
०० संदर्भ ग्रन्थ सूची
(III) दूतों के गुप्तचर १९२
१९४
२०३
२०६-२१३ २१४ - २३२