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श्री जिनेंद्राय नमः
(अर्पण पत्रिका) .. श्रीमान् स्वर्गीय श्रावकवर्य बावुसाहेब
लक्ष्मोचंदजी कर्णावत. आपने इस संसारमें उच्चकुल व सर्वोत्तम धर्म का पाकर श्रीसिद्धाचलजी तथा श्रीसम्मेन शिखरजी तथा 2 श्रीपावापुरीजो वगेरे तीर्थयात्राके साथ देवगुरुस्वधर्मीकी भक्ति करके अपने आत्माका कल्याणकिया और अपने सुपुत्र श्रीयुन हनुमानसिंहजी कलकता निवा-/ सीको संसारमें छोडकर स्वर्ग सिधार गये न श्रीमान् तुम्हारे पुत्रादि परीवारने भी श्री सि
दाचलजी उपर सेठ मोतिशाहको टुंकमें देहरी लेकर श्रीसुपार्षनाथजी आदि परमात्माकी ५ मूर्तियां M स्थापनको जिनका स्तवन निचे रोशन कियाहै इसी
तरह देवगुरु नानको भक्ति ननमन धनसे करके अपने लि M द्रव्यका सदुपयोग कियाई और कर रहे हैं तया से
हमारी संस्थाके प्रथम वर्गके मेंबर होकर सहायता दीहै अतएव इस पुस्तक की आदिमें आपका फाटु देकर यह ग्रन्थ आपको सादर समर्पण कर आपके आत्माको अखंड शांति प्राप्त हो यह चाहते हैं.
आपका सहधर्मी बन्धु ----- प्रकाशक.