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आता था तब तब सोनीजी एक एक सोना मोहर ज्ञान पूजामें भेट करते थे अर्थात् ज्ञानपर चढाते थे । श्रीभगवती सूत्र में गोयमा शब्दका प्रसंग ३६ हजार वार आता है. उसमुजिब ३६ सहस्र मोहरें तो खुद सोनीजोने ज्ञान पर चढाई । प्रति प्रश्न इसी प्रकार आधी आधी मोहरके हिसाब से १८ हजार मोहरें सो नीजीकी धर्म पत्नीने चढाई और चतुर्थांशके हिसासे ९ हजार पुत्रवधूने चढाईं । एवं कुल ६३ हजार मोहरें समझ लेनी । कहते हैं कि इस रकममें एक लाख पैंतालीस हजार मोहरें और मिलाकर इन कुल २ लाख ८ हजार मोहरें ज्ञान - पुस्तकोंके लिखवाने में खर्च करदों । संग्रामसोनीके लिखवाये सुनहरी चि त्राम और सुनहरी ही अक्षरोंके कल्पसूत्र मूल-जोकि बारां सौ के नामसे जैन समाजमें प्रसिद्ध है, प्रायः बहुत से जैन भंडारोंमें उपलब्ध होते हैं ।
उदारता के साथ आप सदाचारी - ब्रह्मचारीस्वस्त्री संतोषीभी परले दर्जेके थे । एक वक्तका जिकर है
बगीचेकी सैर करते हुए बादशाहने तमाम आम फले हुए देखे, किंतु एक आम ऐसा देखा कि जि
१ ऐसी प्रतियां बडोदा ज्ञानमंदिरमें महाराज श्री हंस विजयजी के पुस्तक संग्रहमें मौजूद हैं ।