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________________ Dt. 19-07-2018 32 “ऐसे किसी अपवाद रूप किस्से में अगर आपकी अहिंसा कामयाब न बन सके तो (अपवाद के रूप में) मातृशक्ति की शीलरक्षा करने की उमदा परिस्थिति में, आपको हिंसा करनी पड़े तो वह न कोई अपराध है, न पाप । एक बड़े जैन आचार्य ने भी एक अपहरण की गई साध्वी को बचाने, मुक्त कराने हेतु शस्त्र उठाये थे अपने हाथों में तलवार उठायी थी और उसे छुड़ाया था ! हमारी अहिंसा कायरों की नहीं, वीरों की है । इस लिये मेरे बहादुर दोस्त ! चिंता मत करो। तुम आगे बढ़ो । अगर ऐसा समय आता है तो मैं भी तुम्हारे साथ जुड़ जाऊँगा । " • । "कीर्ति बाबु । आप का शुक्रिया । सारी बातें साफ हो गईं... अब कृपा करके मेरी धनराशि आपके उमदा कार्य में उपयोग में लेने हेतु स्वीकार करें। "मनीराम ने प्रार्थना की।" कीर्ति-स्मृति "हम अब उस का स्वीकार करेंगे । परंतु वह दूसरे ढंग से होगा। आप ही उस धन के कस्टोडियन बनेंगे। आप उसका उपयोग सहाय के तीन रास्तों से करेंगे।" कीर्ति ने नया मार्ग निकाला और मनीराम ने पूछा किस प्रकार ?" - खास "प्रथम आप अपने खुद के परिवार को एवं हमारे सारे कामगारों को सहायता करेंगे करके बिहार के : बिहार महावीर, बुध्ध और जयप्रकाशजी की पवित्र भूमि जिसे मैं वंदन करता हूँ कीर्ति ने स्पष्टता की मनीराम को तुरन्त ही रुपयों के नॉट सभी में वितरण हेतु निकालते हुए देखकर कीर्तिने आगे स्पष्टता करते हुए सलाह दी : 1 "दूसरा, आप पैसे अपने खुद के वतन बिहार के गांव के गरीब से गरीब लोगों को भेजेंगे - उन पैसों से अपने छोटे-छोटे गृह उद्योगों को शुरू करने के लिये ।" "बिलकुल ठीक है ।" "और तीसरा, पैसों का एक तिहाई भाग जब ज़रुरत पड़े तब अपहरण की जाती बालाओं को बचाने और सहाय करने के लिये रखेंगे ।" " कीर्ति के गरीबों को मदद करने के ऐसे असाधारण और अनूठे उपायों मार्गों और मिशन से मनीराम और सभी कामगार बेहद खुश हो गये, क्योंकि ऐसा तो उन्होंने कभी सोचा, माना न था । इस खुशी के माहौल में कीर्ति के द्वारा प्रथम बताया हुआ मार्ग शीघ्र ही अपनाया गया। सारे केही साथी कामगारों को खुले हाथ से धन बांटा गया। जिंदगी में ऐसा तो उन्होंने सोचा ही नहीं था कि उदार देनेवाला और दीन-दुःखी लेनेवाले सभी आनंदित होकर कीर्ति का धन्यवाद ही नहीं उसे अपने सर आँखों पर बिठाने लगे। अपने लिये कुछ भी नहीं लेनेवाला और सभी को सुखी कर देने का 'दानं संविभागः' का मार्ग दिखानेवाला करणात्मा कीर्ति उन सबका सच्चा क्रान्ति नेता " क्रान्ति-‍ सभी आजतक के अभावग्रस्त कामगार अपने अपने स्वजनों को वतन में तुरन्त मनीआर्डर भेजने लगे । - सरदार बन गया था । **** और इस प्रकार, जिसकी लंबे अर्से से प्रतीक्षा की जा रही थी ऐसा कीर्ति का 'संपन्नतावाद' का निराला, सभी का सुख-कर्ता, नूतन क्रान्ति निर्माता, मिशन और क्रान्ति-आंदोलन का शुभसंकेत (32)
SR No.032327
Book TitleKarunatma Krantikar Kirti Kumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year
Total Pages54
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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