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________________ "Dt. 19-07-2018 - 10 . कीर्ति-स्मृति .. में लगा रहा। | | इ.स. १९५२-५३ का यह समय था । उस समय पिताजी ने लींबड़ी से अमरेली जन्मभूमि पर जाने की इच्छा व्यक्त की, आटकोट होते हुए वे अमरेली पहुँचे और वहाँ शय्यावश हो गये। पिताजी की ऐसी स्थिति के समाचार जानकर, मैं और माताजी उनकी सेवा में वहाँ पहुँचे-लींबड़ी ग्रंथालय से छुट्टी लेकर और ग्रंथालय-कार्य में बाधा न हो इस हेतु से कीर्ति को अपने स्थान की जिम्मेदारी सौंपकर । किसी भी कार्य में दक्ष और संनिष्ठ कीर्ति ने यह कार्य भी इतनी बखूबी निभाया कि ग्रंथालयसंस्थापक मुनिश्री नानचंद्रजी उससे बड़े प्रसन्न हुए और उसे आशिष-बल प्रदान करते रहे। परंतु अमरेली में अंतिम दिन व्यतीत कर रहे पूज्य पिताजी ने ९ जुन १९५२ को शांति-समाधिपूर्वक, माँ और मेरी सेवा पाकर, जब देहत्याग किया, तब कीर्ति को अपने प्यारे पिताजी से उस 'कीर्तिनिवास' में अल्विदा कहने भी आगे से बुला नहीं सकने का दुःख मुझे रह गया । कीर्ति ने तो लींबडी की मेरी लायब्रेरी-सेवा सम्हालकर हमारे महान तत्त्वज्ञ पिता की सेवा करने का मुझे अवसर प्रदान कर दिया, परन्तु मेरा यह अक्षम्य अपराध रहा कि मैंने समयसूचकता नहीं दर्शाते हुए उसे पितृ-मिलन से अंतिम विदा की बेला में भी वंचित रख दिया !! बेचारा कीर्ति, जिसके प्रति अपार वत्सल-प्रेम से ही पिताजी ने हमारे इस गृह का उसका ही नामाभिधान किया था 'कीर्तिनिवास' और जहाँ से और जिनसे उसने अपने क्रान्ति-कार्य के प्रथम पाठ पढ़े थे, वहाँ वह मेरे उक्त प्रमादापराध के कारण, महाप्रयाण कर रहे पिताजी को प्रणाम भी करने, प्रत्यक्ष पहुँच नहीं पाया था !!! बेशक परोक्ष होकर भी वह दूसरे रूप से तो उनके निकट प्रत्यक्ष ही रहा था । लींबड़ी में १९५४ तक उक्त ग्रंथालय कार्य, सभी का अपार प्रेम संपादन करते हुए सम्हालकर, हम दोनों बंधुओं को, फिर अनिच्छा से, अपने जीजा श्री पी.जे. उदानी और दोनों अग्रजों के आग्रह से, उनके उदानी एन्जीनीयरींग कंपनी के परिवार-व्यवसाय में जुड़ने और आगे अध्ययन करने, त्यागपत्र देकर लींबड़ी से जाना पड़ा - मुझे हैद्राबाद (आंध्र) और कीर्ति को मद्रास, जहाँ से वह पूना अपनी मेट्रीक्युलेशन परीक्षा देने गया और फिर अलीकांचन पू. बालकोबाजी के पास । (10)
SR No.032327
Book TitleKarunatma Krantikar Kirti Kumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherVardhaman Bharati International Foundation
Publication Year
Total Pages54
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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