________________ जन्म शताब्दी के 'अपूर्व अवसर' पर आपको बुला रहा है स्वर-देह सद्गुरुदेव सहजानंदघनजी का ! 'हे जीव ! प्रमाद छोड़कर जागृत हो, जागृत हो। अन्यथा रत्नचिंतामणिवत् यह मनुष्यदेह निष्फल चला जाएगा।' महाविदेहस्थ, महाविदेहीदशा संस्थित परमकृपालुदेव के ऐसे प्रबल वचनामृतघोष-प्रतिघोष को, उनके अनन्य शरणस्थ सद्गुरुदेव सहजानंदघनजी की झकझोर देनेवाली भवनिद्रा से जगा देनेवाली और भाव-निद्रा तोड़ देने वाली अगम वाणी में क्या आपने सुना है ? सुनकर, सोचकर हृदय में उतारा है ? ‘आत्मभान्-वीतरागता', 'पांच समवाय', 'नवकार महिमा', 'दशलक्षण धर्म', 'समाधिमरण की कला' आदि परमगुरु-प्रवचन की सी.डी. कृतियों के उपरांत अभी तो बहुत कुछ महत्त्व की निम्न चिरंतन, दुर्लभ सी.डी.यों के द्वारा सुनना और सुनकर आत्मश्रेणि की सीढ़ियों पर चढ़ना शेष है- यह खजाना अभी तो गुप्त ही पड़ा * श्रीमद् राजचन्द्र शताब्दी प्रवचन * साकार-निराकार * आध्यात्मिकता * अहिंसादर्शन * आत्मसाक्षात्कार का अनुभवक्रम (संपुट) आदि अनेक। थोड़े ही बचे उनके इन अद्भुत, अनुभूत, अगमनिगम के गुरुगमपूर्ण विषयों को उनकी ही स्वानुभव-वाणी में सुनना है ? उनके इस दुर्लभ स्वरदेह का जतनयुक्त, परिश्रमसाध्य-महाकष्टसाध्य स्टुडियो रिकॉर्डिंग रूपांतरण-निर्माण करवाकर, इस परमोपकारक युगदर्शी-युगप्रधान परम पुरुष को सुनने-सोचने और संभालने के साथ विश्व भर में अनुगुंजित करने प्रतीक्षा है आपके भावपूर्ण अनुदानों-समर्पणों की। गुरुदेव का बुलावा आ चुका है। शीघ्र निर्णय कर सम्पर्क करें- परमगुरु-वाणी सेवक, प्रा. प्रतापकुमार टोलिया- 09611231580 ई-मेल : pratapkumartoliya@gmail.com अजीतकुमार झाबक-09894639735 ई-मेल : ajabakh@gmail.com