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(गीत)
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(राग-मिश्र; ताल-दादरा) "बाल को करती प्यार दुलार माँ, झूले की डोरी खींचती थी; (घवध-नीसा नीसा / नीसानीधप । पपप धनी धप धनीनी नीनीनी) सुर मधुर सुनाय सुनाय के, अंतस्-अमृत सींचती थी। (रेरेरे गरेसा । रेमम धपप-/ गणय मधप मममम) “वीर होना, गंभीर होना तू" पुत्र को आशिष देती थी, (घ-पम पधधाम प प प, धबधनी सा सा/नी सासासासा) झुकझुक के निज लाल के लोचन, नेह नजर से देखती थी। (रे रे रे गरेसा रेमम धपए - गगग मधप ममममम (2)
(००००० वाद्यस्वर परिवर्तन ०००००
(लोरी गीत) (राग-पहाड़ो छाया; ताल-दादरा) “सो जा रे - सो जा।... सो जा... ओ मेरे बाल/ लाल। मीठी मीठी लोरी सुनाऊं, में तो तेरे काज; जारने का शेष तुझे रे, सो जा रे तू आज । सो जा रे॥" (सूरमंडल) वर्धमान के जन्म से ही "श्री" एवं “आत्मश्री" का वर्धन, उनका विद्याशाला में गमन और अपने अलौकिक बाल-पराक्रम से 'वर्धमान' से 'महावीर' नामकरण : चल पड़ा यह क्रम -
(बाल वृंद गीत) (राग-भीमपलास ; ताल-दादरा) "ओ मैया! तेरे कुंवर की करनी क्या बात?
ओ त्रिशला! तेरे कुंवर की कहनी क्या बात? सब से निराली उस की जात, भली है उसकी मौत,
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