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बीत चुकी है रात, आया है प्रभात, मुक्त हुए है निद्रा से । प्रयत्न करें (अब) भाव-निद्रा को टालने का ।
दीर्घ, संक्षिप्त या क्रमानुक्रम किसी भी स्वरूप में मेरे द्वारा कही गई, पवित्रता के पुष्पों से आवृत्त (Dथी हुई) इस माला का प्रभात या संध्या के समय अथवा अन्य अनुकूल निवृत्ति में चिंतन मनन करने से मंगलदायक होगा । विशेष क्या कहुँ ?
“आप की आत्मा का इससे कल्याण हो, आप को ज्ञान, शांति तथा आनंद प्राप्त हो, आप परोपकारी, दयावान, ज्ञानवान, क्षमावान, विवेकशील एवं बुद्धिमान बनें ऐसी शुभयाचना अर्हत् भगवान के पास करते हुए इस पुष्पमाला को पूर्ण करता हूँ।'
- श्रीमद् राजचन्द्रजी