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________________ Second Proof Dt. 23-5-2017 - 39 • महासैनिक. नहीं बोलेंगे ?.... (पागल सा) स्मृति से - हाँ, आपने कहा था कि दुःख के समय आपकी इस भेट से मुझे शांति मिलेगी, प्रेरणा मिलेगी-ठीक... ठीक है-(टेइप रिकार्डर के पास जाता है, चालु करता है।) पार्श्ववाणी : (बूढ़े बाबा की आवाज़) "कुछ गलतियाँ सुधारी नहीं जा सकतीं । लेकिन पश्चाताप से ज़रूर पावन हुआ जा सकता है। इसके लिए अपने को बदलना पड़ता है, प्रेम अहिंसा और शांति के पथ पर चलना होता है...।" वाद्यसंगीत - जनरल (बाबा की वाणी दोहराते हुए, टेइप बंद करके ।)... इसके लिए अपने को बदलना पड़ता है... प्रेम, अहिंसा और शांति के पथ पर चलना होता है।" (भाववश, दर्द के साथ, परिवर्तित होकर ) ठीक ही है, मैं अपने आप को बदलूंगा... प्रेम, अहिंसा और शांति के पथ पर चलूंगा... बाबा की उस आशा को, उस प्रार्थना को साकार करुंगा.... (बाबा का बंडल अपनी छाती पर रख लेट जाता है। सोच में) पार्श्वघोष (बाबा की वाणी): "जनरल साहब ! आप एक सेनानी है। परमात्मा आप को एक सचमुच ही बहादूर सेनानी बनाएँ - बिना हिंसक हथियारों के, बिना नफरत के सेनानी । गांधी से भी आगे बढ़े हुए सेनानी !!... सारे संसार को तबाह करनेवाला यह युद्ध आप ही के जरिये रोका जाय और मेरा सपना सच बने - इस शरीर को छोड़ने से पहले की मेरी यह गहरी प्रार्थना है... भगवान आप का कल्याण करें । अल्विदा.... जय जगत्.... जय शान्ति... !" पार्श्वगीत : (समूहगान : पंक्ति) "शांति के सिपाही चले, शांति के सिपाही.... वैर-भाव तोड़ने, दिल को दिल से जोड़ने, काम को सँवा, जान अपनी वारने, रोकने तबाही चले । शान्ति के...." ( वाद्यसंगीत : जनरल पूरे परिवर्तित और कुछ स्वस्थ ) जनरल : ( उठकर हाथ से ताली बजाकर सिपाही को बुलाकर सिपाही से): जाकर मार्शल साब और कन्ट्रोलर सा'ब को खबर दो कि राकेट छोड़ने का प्रोग्राम मोकूफ रखा जाय । और मार्शल साहब को यहाँ आने को कहो - । ( सिपाही ००) क (39)
SR No.032302
Book TitleMaha Sainik Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratap J Tolia
PublisherYogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan
Publication Year
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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