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Second Proof Dt. 23-5-2017 -38
• महासैनिक .
"दूसरे देशों को मिटानेवाले देश खुद ही मिट जाते हैं...!"
यह तो हमारे लिए ही सही निकला...।" फिल्ड मार्शल (प्रवेश कर, मार्शल से धीरे से -) दूसरे राकेट को छोड़ने की तैयारी सारी हो चुकी है। मार्शल (स्वगत) अब भी, यह तैयारी, यह पागलपन...? पर खैर, जनरल साहब को उठने दें।(मार्शल से) अब जल्दी न करें मार्शल, जनरल साहब को उठने दें... शायद... । आप जाईये, ग्राउन्ड कन्ट्रोलर साहब से यह कहें और उनका भी ख्याल रखें। फिल्ड मार्शल (जाते हुए) अच्छी बात है)
(फिर सन्नाटा । मार्शल उन किताबों को फिर उठाता है। "गांधी एक महासैनिक" के पन्ने पलटता है। थोड़ी देर में जनरल उठते हैं -) जनरल : ओह मार्शल आप अब तक बैठे हैं? जाइये आप भोजन और आराम करके आइये । मुझे कुछ भी नहीं खाना है, थोड़ी देर लेटा रहूंगा। मार्शल : लेकिन ये Pills खा लें । डोक्टरने दी हैं। ००० सिपाही को सूचना देते हैं ।) जनरल : (अपने स्वजनों की स्मृति में खोया हुआ).... क्या सचमुच ही सब के सब तबाह हो गये ?... सब चल बसे ? ( उठकर घूमता है, रो देता है । चार्ट से सूत्र को पढ़ता हैं । संदूक से दो तस्वीरें निकालकर देखता है और टेबल पर रखता है।) मेरे प्यारे बेटे ! और उनकी ये... नन्हीं नन्हीं बिटिया... ! सब-सब के सब गये... ? ओह ( रोता हैं) बूढ़े बाबा ने ठीक ही तो कहा था - तब मैंने वह बात नहीं मानी - पार्श्वघोष (बूढ़े बाबा की वाणी)
"..... और आपने अपने दुश्मन देशों के लाखों नाजुक नवजात, निरीह बच्चों को मौत के घाट उतारे थे बराबर है न... ? (जनरल डरते हैं, रोते हैं।)
"..... आप चाहते हैं कि आप के देश के बच्चे बच जायँ और दूसरों के मर जायें ?...."
(जनरल बड़े ही प्रभावित और परिवर्तित-से होने लगते हैं । पश्चाताप और भाव की दशा में-) जनरल : (बाकी के बंडल पर सर रखकर )"नहीं बाबा, नहीं.... मैंने बहुत भारी गलती की बहुत भारी... !" पर क्या अब वह सुधारी नहीं जाती ? मेरे बच्चे जिंदा नहीं हो सकते ? बोलो, बाबा, बोलो ।
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