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Second Proof Dt. 23-5-2017-26
महासैनिक .
पार्श्ववाणी ( समूहघोष):
"भारत छोड़ो, भारत छोड़ो... ! इन्कलाब जिंदाबाद...
करेंगे या मरेंगे, करेंगे या मरेंगे।" (वाद्यसंगीत) पार्श्ववाणी (स्त्रीस्वर): _____ और आखिर भारत आज़ाद हुआ । अहिंसा के महासैनिक गांधीजी के युद्ध सफल ही नहीं, मिसाल भी बन गये। (वाद्यसंगीत : सितार । एफेक्ट्स : अन्य ध्वनि : घंटनाद, ट्रम्पेट्स ।) जनरल : (प्रतिक्रिया के साथ ) तो आखिर भारत अहिंसक युद्धों के जरिये आज़ाद हुआ? और वह भी लहू लेकर नहीं, लहू देकर... ? (टेइप रिकार्डर बंद करता हैं ।) मार्शल : बड़ी अजीब बात है ! ऐसा कभी हो सकता है ? जनरल : मैं भी यही सोचता हूँ, ऐसा कभी हो सकता है ? ऐसा सैनिक भी कहीं हो सकता है ? मार्शल : सवाल तो मेरा भी यही है, साहब ! पर फिर भी यह है एक हकीकत ! इतिहास इसका गवाह है !! . जनरल : ..... हो सकता है, लेकिन हमारे लिए ये बातें fairy tales परियों की कहानियों से अधिक नहीं हैं ।... अगर हम हमारे युद्धों में इस तरीके को अपनाना चाहें तो किस प्रकार अपना सकते हैं ? यह बात तो सोचने जैसी और पेचीदी है, और सचाई रखकर शायद इस का हल लेकिन बूवी ढूँढ सकते हैं, साहब !,(घड़ी में समय देखकर ) अब हमारे प्लान-मिटिंग का वक्त हो चुका
जनरल : ओह, छोड़ें इन फिजूल की बातों को, आओ, बैठें । मार्शल : (बाहर दरवाजे की ओर देखते हुए) ये फिल्ड मार्शल भी आ गये... । फिल्ड मार्शल : (प्रवेश करते हुए, फौजी अदब में) गुड मोर्निंग सर, क्या मैं आ सकता हूँ? जनरल : यस, कम इन । फिल्ड मार्शल : (सेल्युट.कर, प्लान्स देते हुए) ये हमारे आज के प्लान्स, साहब ।
(जनरल ले लेते हैं और मार्शल के साथ देखकर कुछ प्लान दीवार पर लटकाने को देते हैं और कुछ टेबल पर रखवाकर work out करने बैठते हैं । फिल्ड मार्शल फोल्डिग टेबल को सामने रख देते हैं, तीनों बैठते हैं ।) फिल्ड मार्शल : ( साथ में एक बड़ा प्लान रखकर) इस प्लान को भी लटका दूँ न साहब ?
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