________________
First Proof Dt. 23-3-2017 2
(ii)
प्रा. प्रतापकुमार टोलिया लिखित, गांधी शताब्दी- 1969 /प्रथम पुरस्कृत ((भारत में) नाटक हिन्दी-अंग्रेजी
महासैनिक - The Great Warrier of Ahimsa
(लेखक के प्रति )
पुरोवचन
"आप का नाटक पुस्तक "अहिंसा" योद्धा क्या हो सकता है ?" अथवा शान्तिसैनिक "महासैनिक" (अंग्रेजी नाटक : : 'Could There be such a Warrior ? “The Great Warrior of Ahimsa”) हम देख गये । बहुत ही पसन्द आया। रंगमंच पर तो उसका कथा वस्तु, प्रवेशादि, अंक, पार्श्वसंगीत और "शांति के सिपाही चले" यह दुःखावलजी का कूप्रगीत सचमुच ही कॉमेन्ट्री, प्रकाश का विविध रंगायोजन के साथ जबरदस्त प्रभाव, भावक के दर्शक के लिये हृदयस्पर्शी सिद्ध हो जाता है। इसमें पू. भगवान महावीर, पू. राजचन्द्रजी, पू. गांधीजी और अंत में पू. श्री विनोबाजी एवं मुनिश्री सहजानंदघनजी तथा पू. विनोबाजी के 'पंचवटी तीर्थ' का भव्य प्रभाव भावक के हृदय को सराबोर आपूरित कर देता है, छलका देता है ।
"फिर / अपरंच 'प्रस्तावना' (प्रास्ताविक ) में आपने 1969 के कौमी दंगों के बीच अहमदाबाद में पीले स्कार्फ और हरे बॅज के साथ मेरे नेतृत्व में भड़वीर 'शान्ति सैनिकों' (आपके स्वयं के साथ ) ने प्रस्तुत किया हुआ शौर्य-वीरत्वपूर्ण योगदान आपने जो याद किया है, जो कि प्रतिहासिक दृष्टि से शान्तिसेना क्षेत्र में बड़ा ही महत्त्वपूर्ण और प्रभावपूर्ण है, जिसके लिए नाट्यलेखक के रूप में आपको सौ सौ नहीं, हज़ारों धन्यवाद आभार ।"
रक्षाबंधन, 2004 अहमदाबाद
प्रा. डो. हरीश व्यास
(प्राध्यापक एवं भारत पदयात्री सर्वोदय कार्यकर्ता 1969 के अहमदाबाद के कौमी दंगों के बीच भयावनी अंधेरी रातों में मौत को मुडी में लेकर, गांधी-विनोबा की दृष्टि की निर्भीक अहिंसा प्रयोगसिद्ध करते हुए शांति स्थापित करनेवाले नेता शांतिसैनिक जिनके नेतृत्व में इस नाट्यलेखक ने भी हिंसा के बीच अहिंसा और शांतिस्थापना का स्वयं प्रयोग भी किया और उस आंखों देखें'
- स्वयं अनुभव किये हुए हाल को यहाँ प्रस्तुत भी किया ।
-
डॉ. व्यास अपने अंतिम दिनों के विश्राम के दौरान अपना स्वास्थ्यवृत्त दर्शाते हुए उनके जीवनभर
के विराट पदयात्रा - योग का उल्लेख इन शब्दों में करते हैं :