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'अनन्त की अनुगूंज' काव्य संकलन गूढ आत्मभावों का सुरम्य व सहज चित्रण है। इस में मुक्ति के लिए छटपटाहट की अभिव्यक्ति के कई माध्यम है । खण्डहर, तितली और पूष्प जैसे माध्यम भी । कुछेक क्षणिकाए है, शेष है गीत व कविताएं । 'पथ के प्रहरी' में उहापोह का सजीव चित्रण है। एक चक्रवात में उलझे मन का बिम्ब है ' असीम की ओर उडान' किन्तु यह चक्रवात आतंक नहीं अल्हड झूम की सष्टि करता है। दो-एक कविताएं संकलन से अलग-थलग बैठती हैं । यथा अमर्ष से रचीपची रचना 'क्या यह भी कोई जीवन है ?' और आक्रोश से आपूरित रचना 'गांधी हत्यारा था (?)' एक रचना ' बातें अनकहीं' श्रद्धांजलीपरक है। रचनाकार भारतीय संगीत में निष्णात है अतः स्वाभाविक है इस संकलन की रचनाएं लयवद्ध है। इनमें 'हमिंग'-सा आनंद है क्योंकि वे अंतर्यात्रा की रचनाएं हैं। अपने भीतर पैठने के लिए इस कृति का रसास्वादन किया जाना लाभप्रद है ।
'जैन जगत' फरवरी १९७३