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प्रस्तुत की। आपकी प्रथम पुस्तक 'वतन, तारा रतन' कॉलेज के अभ्यासकाल के दौरान ही प्रकाशित हुई थी । इसी प्रकार अखबारों में लिखने का शुभारम्भ तो आपने कॉलेज की युवावस्था से ही शुरू कर दिया था ।
सन् 1962 से आपने 'गुजरात समाचार' में स्थायी स्तम्भ एवं सन् 1965 से ग्रंथ लेखन का प्रारम्भ किया था। सन् 1965 में एम.ए. के द्वितीय वर्ष के दौरान आपने लालबहादुर शास्त्री का जीवन-चरित्र 'लाल गुलाब' शीर्षक से लिखकर बाल साहित्य जगत में तहलका मचा दिया । लाल गुलाब की 60 हजार प्रतियों की बिक्री हुई और समग्र गुजरात में शिष्टवाचनपरीक्षा के लिए यह पुस्तक के रूप में चयनित हुई । गुजरात सरकार की उच्च स्तरीय बाल साहित्य की स्पर्धा में इस पुस्तक को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ।
11 जनवरी, 1966 के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का आकस्मिक निधन हो गया । कुमारपाल द्वारा लिखित शास्त्री जी के जीवन-दर्शन का लगभग तीन सौ पृष्ठ का 'महामानव शास्त्री' नामक विस्तृत आलेख प्रकाशित हुआ। 20 अप्रैल, 1966 सन् में अहमदाबाद के एच. के. कॉलेज हॉल में गुजरात की प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्था 'गुर्जर ग्रंथरत्न कार्यालय' ने प्रसिद्ध साहित्य - सर्जक 'धूमकेतु' के निधन के पश्चात् उनका अपूर्ण उपन्यास ‘ध्रुवदेवी' तथा नवोदित लेखक के रूप में आपकी पुस्तक 'महामानव शास्त्री' का भव्य प्रकाशन समारोह एक साथ ही आयोजित किया ।
'लाल गुलाब' की सफलता के पश्चात् कुमारपाल देसाई ने बाल साहित्य सर्जन में सक्रियता दिखाई । स्वरचित पुस्तकों की संख्या में वृद्धि करना ही आपका एकमात्र लक्ष्य नहीं है, बल्कि प्रत्येक पुस्तक में एक विशिष्ट दृष्टिकोण रखते हुए आप लिखते हैं । बादशाह अकबर और बीरबल की चतुराई को सुनने वाले गुजरात को चतुर तथा विलक्षण गुजराती का परिचय कराना चाहिए, इस दृष्टिकोण से 'डाह्यो डमरो' जैसी कहावत
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