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'झाकळ बन्युं मोती' आदि संग्रहों में निहित-संग्रहित लेख कुमारपाल की निबन्धकार की प्रतिभा को स्वतः स्पष्ट रूप से उजागर करते हैं। इन संग्रहों में से कुछ संग्रहित लेख प्रवचन रूप लिखे गए हैं।
जैन धर्म, जैनदर्शन एवं जैन संस्थाओं में डॉ. कुमारपाल देसाई ने विशिष्ट प्रतिष्ठा और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किया है। जैन धर्म के बारें में दैनिक पत्रों के स्थायी स्तम्भ और शताधिक पुस्तकों द्वारा आपने अपनी मौलिक एवं सात्विक विचारधारा प्रकट की है जो जन-जन की हृदयस्पर्शी बनी है। जैन धर्म विषयक आपकी पुस्तकों में भगवान ऋषभदेव, भगवान मल्लीनाथ और भगवान महावीर का चरित्र-चित्रण देखा जा सकता है। साथ ही कलिकालसर्वज्ञ हेमचंद्राचार्य की साहित्य - साधना एवं श्री महावीर जीवन-दर्शन जैसे विशिष्ट ग्रंथ भी पाए जाते हैं । महायोगी आनंदघन के बारे में आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। आपकी पुस्तक 'Stories from Jainism' यूरोप की स्कूलों में धर्मविषयक पाठ्यपुस्तक के रूप में समाहित है। गुजराती के समर्थ लेखक कुमारपाल देसाई ने हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं में भी लेखन कार्य किया है। हिन्दी में आपने 'जिनशासन की कीर्तिगाथा', 'आनंदघन', 'त्रैलोक्य दीपक राणकपुर तीर्थ' जैसे विशेष ग्रंथ प्रस्तुत किए हैं। अंग्रेजी में तो आपने अनेक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘Glory of Jainism', 'Stories from Jainism', 'Essence of Jainism', ‘Non-violence :A way of life' (Bhagwan Mahavir), 'APinnacle of Spirituality', 'The Timeless Message of Bhagwan Mahavir', ‘Vegetarianism’ विशेष हैं। आपकी हिन्दी और अंग्रेजी में रचित पुस्तकें विशेषत: जैन धर्म एवं उससे सम्बन्धित विषयों तक मर्यादित नहीं हैं, किन्तु इन ग्रंथों में आपने जैन धर्म के सिद्धान्त तथा जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला है। वर्तमान में भगवान महावीर के बारे में एन्साइक्लोपीडिया कहे जाने वाले ग्रंथ 'तीर्थंकर महावीर' की रचना की है।
सन् 1984 के ब्रिटेन प्रवास के बाद आप प्रतिवर्ष व्याख्यान देने के
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