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कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन इस सन्दर्भ में लक्ष्मी और हरि का सम्बन्ध स्पष्, किया गया है। गुप्तयुग में प्रमुख देवताओं के साथ उनकी शक्तियों का भी उल्लेख साहित्य और पुरातत्व में प्रचुरमात्रा में किया जाने लगा था। विष्णुपुराण में विष्णु के प्रत्येक अवतार के साथ लक्ष्मी के भी विभिन्न रूपों का उल्लेख किया गया है।' गुप्तकालीन मुद्राओं में एक ओर नारायण और दूसरी ओर लक्ष्मी के चित्र अंकित पाये जाते हैं। कुवलयमाला में लक्ष्मी का सम्बन्ध समुद्र एवं कमल के साथ भी बताया गया है (११५.१५) । जिसके अनेक सन्दर्भ पुराण साहित्य में मिलते हैं। पुरातत्व के साक्ष्यों के द्वारा भी यह अनुमोदित होता है। उदाहरणार्थ अजन्ता की कला में एक स्थान पर द्वार-भाग में लक्ष्मी का आकार प्रदर्शित किया गया है। लक्ष्मी का अभिषेक दो गज सूड़ों में घड़ा लेकर संपन्न कर रहे हैं। मथरा से प्राप्त लक्ष्मी की एक कुषाणकालीन मूर्ति उपलब्ध है, जिसमें लक्ष्मी की प्रतिष्ठा कमलों के बीच की गई है।
१. द्रष्टव्य, सिद्धेश्वरीनारायण राय, पौराणिक धर्म एवं समाज, पृ० २२.२५. २. अल्तेकर, गुप्तकालीन मुद्राएं, पृ० १०२. ३. कुमारस्वामी, ए० के०, 'यक्षाज,' भाग २, पृ० ८२. ४. वही-पृ० ८४.