SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनधर्म की कहानियाँ भाग-१८/३७ जयपुर शहर में हमारे अफसर कप्तान स्मिथ की हत्या से कम्पनी सरकार अत्यन्त दुखी है और अनुभव करती है कि आपके राज्य में हमारे अफसरों का जीवन खतरे में है। अनुमानत: यह कोई बड़ा भारी षडयन्त्र है । अपराधी को शीघ्र खोजकर हमें सौंपा जाय। उसके मिलने तक जयपुर शहर पर छावनी का अस्थाई रूप से अधिकार रहेगा। - अमरचन्द – (मुठिया लपेट कर खड़े हो जाते हैं) राजा साहब की ओर से हम छावनी बोर्ड के आर्डर का सम्मान करते हैं । अपराधी मिल चुका । उसे अभी आप अपने साथ साँगानेर ले जा सकते हैं। (बैठे हुए सभी व्यक्ति आश्चर्यचकित हो उठते हैं।) I एजेन्ट - डीवान साहब ! ख्याल रखना माँगटा कि किसी ऐरा - गैरा को अमारे हाथ पकड़ा देने से काम नेई चलेगा। अम रियल मुजरिम मांगटा । ये मामला गवर्नर जनरल टक जायेगा । वहाँ टक जुर्म साबिट होना माँगटा । (कागज का मुठिया राजा साहब को देकर) जुर्म प्रमाणित है। सुप्रीम कोर्ट भी अपराध को किसी प्रकार झूठा सिद्ध नहीं कर सकती । ( दृढ़ता पूर्वक) यह दीवान अमरचन्द का दावा है । अमरचन्द - एजेन्ट - ( मेज पर मुठ्ठी मारकर तनिक रोष से) नेई नेई, टुम ऐसा चेलेंज कैसे कर सकता हय ? मुजरिम किडर हय ? अमारे सामने लाओ। अब्बीअब्बी अम सब सीक्रेट बाट पूछेगा । इसमें किसका किसका हाथ हय ? ये मामूली बाट नेई, पॉलिटिकल साजिश मालूम पड़ता हय । सारे शहर की बडअमनी का नटीजा। अमको मुजरिम बटाना मांगटा । अमरचन्द – (मुस्कराते हुये ) तो फिर किसी कोर्ट के पहले आप ही नजर दौड़ाइये एजेन्ट साहब ! मुजरिम यहीं उपस्थित है । मैं ही मुजरिम हूँ । मेरे पास कप्तान स्मिथ घंटों बैठते थे और लम्बी चौड़ी फिलास्फी बघारा करते थे। मैं व्यक्तिगत तौर पर उसके उद्देश्य को जानता था । मित्रता होते हुए भी मुझे उससे सख्त नफरत थी । वह मौत को साहसपूर्वक चुनौती देता था । एक्सपेरीमेंट करना चाहता था । मैंने उसके साहस की परीक्षा की और लौटते
SR No.032267
Book TitleJain Dharm Ki Kahaniya Part 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Jain
PublisherAkhil Bharatiya Jain Yuva Federation
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy