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________________ जैनधर्म की कहानियाँ भाग-१८/१३ प्रहर में श्मशान में जाकर मुनियों की भाँति ध्यानमग्न हो जाते। इधर रानी की दासी तो सुदर्शन से एकान्त में मिलने का मौका ढूंढ़ ही रही थी, वह मौका उसे मिल गया। सबसे पहले उसने राजमहल के पहरेदारों पर रोब जताने के लिये एक षड़यंत्र रचा। उसने कुम्हार के पास से मनुष्य के आकार की एक विशाल मूर्ति बनवाई। और एक दिन वह अपनी योजनानुसार उस मूर्ति को राजमहल ले गई। पहरेदारों के टोकने पर दासी ने गुस्से में आकर मूर्ति को जमीन पर पटक दी, जिससे वह मिट्टी की मूर्ति टूट गई। अब दासी क्रोधपूर्ण कठोर शब्दों में कहने लगी कि दुष्टो ! तुमको पता नहीं है कि महारानीजी ने नर व्रत धारण किया है, जिसमें नर के समान मिट्टी के पुतले की आवश्यकता होती है, मैं उसे ले जाती थी, परन्तु तुमने उसे तोड़ दिया। अब महारानीजी का व्रत किसप्रकार पूरा होगा ? अब आज रानी भोजन भी नहीं कर सकेगी। मैं अभी जाकर तुम्हारी शिकायत करती हूँ और तुम्हें दण्डित कराके तुम्हारी इस नदानी का फल चखाती हूँ। पहरेदार भयभीत हो गये। वह दासी से क्षमायाचना करने लगे कि तुम महारानी से कहकर दण्ड मत दिलवाओ। दासी ने कहा कि अच्छा, इस समय तो मैं तुम्हें क्षमा करती हूँ। यद्यपि तुमने अपराध तो बहुत बड़ा किया है; परन्तु तुम्हारी हालत देखकर मुझे दया आती है। अब फिर से ऐसी भूल मत करना । मुझे किसी वस्तु अथवा महारानीजी के नरव्रत की पूर्ति के लिये किसी मनुष्य की भी जरूरत पड़े तो मैं लाऊँगी और यदि तुम लोगों ने विघ्न डाला तो तुम्हारा क्या होगा, यह बताने की जरूरत नहीं। ____ पहरेदारों ने कहा कि इस समय क्षमा करो, दूसरी बार तुम्हारे कार्य में विघ्न नहीं करेंगे। तुम आने-जाने के लिये स्वतंत्र हो। दासी ने क्रोध करके कहा कि इस समय तो क्षमा करती हूँ, आगे से ध्यान रखना, भूल करके हमारे कार्य में विघ्न मत डालना। मैं रानी का व्रत पूर्ण करने के लिये मिट्टी का पुतला लेने जाती हूँ अथवा जैसी आवश्यकता होगी वैसा करूँगी - ऐसा कहकर दासी श्मशान में पहुँच गई। वहाँ जाकर उसने देखा कि तपस्वी सुदर्शन ध्यान में लीन हैं। श्मशान भूमि की निष्तब्धता और भयंकरता में एक स्थान
SR No.032267
Book TitleJain Dharm Ki Kahaniya Part 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Jain
PublisherAkhil Bharatiya Jain Yuva Federation
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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