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जैनधर्म की कहानियाँ
भाग-९ तीर्थंकर भगवान महावीर
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भगवान महावीर का जीव १० भव पूर्व जब सिंह था, तब चारणकाद्रिधारी मुनिराजों के सम्बोधन से सम्यग्दर्शन प्राप्त कर मुनिराजों के प्रति कृतज्ञता प्रगट करता है |
प्रकाशक
अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन, खैरागढ़ श्री कहान स्मृति प्रकाशन, सोनगढ़