________________
जैन धर्म की कहानियाँ भाग-८/६८
सभी लोग धर्म की यथाशक्ति आराधना करें और इन आठ दिनों में किसी भी जीव की हिंसा नहीं करें ।"
इसके बाद भी राजा की आज्ञा को भंग करके, उस पापी राजकुमार ने बाग में राजा की भेड़ को मार कर उसका माँस खाया, परन्तु माली ने उसे देख लिया और उसने राजा को यह बात कह दी । राजा को अत्यन्त क्रोध आया और उसने ऐसी जीव हिंसा करने वाले तथा राजा की आज्ञा का भंग करने वाले राजकुमार को फाँसी देने का आदेश दिया ।
पश्चात् राजकुमार को फाँसी देने के लिए सिपाही यमपाल चाण्डाल को बुलाने आये । राजकुमार को फाँसी देते समय उसके शरीर पर मौजूद मूल्यवान आभूषण तथा वस्त्र यमपाल को मिलेंगे और वह खुश होगा - ऐसा समझ कर सिपाहियों ने उसके घर में आवाज दी।
दूर से ही उन्हें आता देखकर, यमपाल तो घर में छिप गया और पत्नि से कहा - " राजा के सिपाही बुलाने आयें तो उन्हें कहना कि मैं घर में नहीं हूँ, बाहर गांव गया हूँ ।"
[ देखो, यमपाल क्यों छिप गया ? क्या वह सिपाहियों से डरता था ? नहीं, उसके छिपने का कारण कोई दूसरा था ।]
सिपाही आये और यमपाल को आवाज लगाई । उसकी पत्नि ने जवाब दिया- “वह बाहर गाँव गया है, घर में नहीं है ।”
सिपाहियों ने अपना सिर पीट लिया और कहा - "अरे रे ! पुण्यहीन यमपाल, आज ही बाहर गाँव चला गया । वह अगर हाजिर होता तो राजकुमार को मारने से उसे कितना सोना और कितने हीरेजवाहरात के आभूषण मिलते । अब तो उन्हें कोई दूसरा ही ले जायेगा ।"
सिपाहियों की यह बात सुन कर चाण्डाल की पत्नि को उन
.