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साहित्य प्रकाशन के अन्तर्गत जैनधर्म की कहानियाँ भाग १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, १०, ११, १२,१३,१४ एवं अनुपम संकलन (लघु जिनवाणी संग्रह), चौबीस तीर्थंकर महापुराण (हिन्दी-गुजराती), पाहुड़दोहा-भव्यामृत शतक, आत्मसाधना सूत्र, विराग सरिता तथा लघुतत्त्वस्फोट- इसप्रकार इक्कीस पुष्प प्रकाशित किये जा चुके हैं। ----
जैनधर्म की कहानियाँ भाग ६ के रूप में अकलंक-निकलंक (नाटक-गद्य), अकलंक-निकलंक (नाटक-पद्य) एवं आचार्य अकलंक देव का संक्षिप्त परिचय प्रकाशित किया जा रहा है। सम्पादन पण्डित रमेशचंद जैन शास्त्री, जयपुर ने किया है। अत: हम इनके आभारी हैं।
आशा है इस नाटक कथा का स्वाध्याय कर पाठकगण एवं मंचन कर कलाकर गण व दर्शक गण अवश्य ही बोध प्राप्त करेंगे। तथा सन्मार्ग पर चलकर अपना जीवन सफल बनाएँगे।
जैन बाल साहित्य अधिक से अधिक संख्या में प्रकाशित हो। ऐसी भावी योजना में शान्तिनाथ पुराण, आदिनाथ पुराण आदि प्रकाशित करने की योजना है।
साहित्य प्रकाशन फण्ड, आजीवन ग्रन्थमाला शिरोमणि संरक्षक, परमसंरक्षक एवं संरक्षक सदस्यों के रूप में जिन दातार महानुभावों का सहयोग मिला है, हम उन सबका भी हार्दिक आभार प्रकट करते हैं, आशा करते हैं कि भविष्य में भी सभी इसी प्रकार सहयोग प्रदान करते रहेंगे।
विनीतः मोतीलाल जैन
प्रेमचन्द जैन साहित्य प्रकाशन प्रमुख
अध्यक्ष
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