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५११-५१२ ५१३-५१५ ५१६-५१९
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योगबिंदु के अनुसार आत्मा का स्वरूप कैसा है पुरुषाद्वैतवाद, द्वैतवाद और अभाववाद के दूषण और उनका समाधान आत्मा के अंश आत्मा से भिन्न है या अभिन्न आदि वादी की शंका का समाधान स्याद्वाद के मत से वस्तुतत्त्व की यथार्थसिद्धि परस्पर विरुद्ध दिखाई देते विचार का समाधान ग्रंथकार आचार्य योगबिंदु की समाप्ति की घोषणा करते हैं योगबिंदु की रचना का प्रयोजन आदि बताकर ग्रंथ की समाप्ति
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५२१-५२२
५२३ ५२४-५२५ ५२६-५२७
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