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योगबिंदु और स्वप्नवृत्ति में समानता रही हुई है। हर जन्म में प्राणी-माता का स्तनपान करता है। जन्मजन्म के अतिशय अभ्यास की ही तो यह निशानी है ॥६१॥
स्वप्ने वृत्तिस्तथाभ्यासाद् विशिष्टस्मृतिवर्जिता ।
जागृतोऽपि कचित् सिद्धा, सूक्ष्मबुद्धया निरूप्यताम् ॥२॥ अर्थ : स्वप्न में भी विशेष प्रकार के अभ्यास के बिना अनुभूत पदार्थ की स्मृति प्रायः नहीं भी रहती ऐसे ही जागते मनुष्य को भी कभी किये हुये विचार अथवा अनुभूत पदार्थ की स्मृति नहीं रहती । सूक्ष्मबुद्धि से विचारें तो वस्तुतत्त्व समझ में आयेगा ॥६२॥
विवेचन : स्वप्न में देखी हुई वस्तु याद आ जाती है, लेकिन स्तनपान पूर्वजन्म के अनुभव का फल है, यह याद नहीं आता इसलिये यह दृष्टान्त यहाँ घटता नहीं इस शंका का निवारण करने के लिये ग्रंथकार ने कहा है :
स्वप्न में भी जिस का तीव्र अभ्यास हो, उसी की स्मृति ताजी रहती है; मन्द-अल्प अभ्यास से स्मृति भी सामान्य होती है। सभी स्वप्न सभी को याद नहीं रहते । जिनका बारम्बार अनुभव किया हो; वैसे अमुक स्वप्न ही याद रह जाते हैं । बाकी सभी भूल जाते हैं । कभी कुछ स्वप्न याद आते हैं तो कभी अस्पष्ट होते हैं, धुंधले होते हैं । जागृत मनुष्य का भी ऐसा ही है, जागृत मनुष्य जगत में सर्वत्र घूमता है, लेकिन अमुक स्थान, अमुक व्यक्ति, अमुक अनुभव ही विशेष याद रहते हैं जिनका कि ज्यादा परिचय हो, सभी कुछ उसे याद नहीं रहता । हर मनुष्य बचपन में अनेक बहनों की गोद में खेला होगा ! अनेक लड़कों के साथ खेला होगा ! अनेक स्थल देखे होंगे, लेकिन बड़ा होने पर अमुक व्यक्तियों, स्थलों की ही याद रहती है, बाकी सब भूल जाता है । यहा तक कि कुछ लोग बचपन के अपने सभी खेल भी भूल जाते हैं, अत: पूर्वजन्म के वे प्रसंग जिनका अभ्यास तीव्र हों, वे ही याद आते हैं । और जिनका ज्ञानावरणीय कर्म क्षयोपशम हों उन्हें ही पूर्व जन्म की स्मृति रहती हैं । इस तथ्य पर सूक्ष्म बुद्धि से विचारें । गम्भीर चिन्तन और सम्यक् दृष्टि के बिना सत्य हकीकत सामने नहीं आती ॥६२॥
श्रूयन्ते च 'महात्मान एते दृश्यन्त' इत्यपि ।
कचित् संवादिनस्तस्मादात्मादेर्हन्त निश्चयः ॥६३॥ अर्थ : (जाति-स्मरण ज्ञान को धारण करने वाले) ऐसे महात्माओं के सम्बन्ध में सुना गया है और कहीं-कहीं वर्तमान में भी ऐसे संवादी महात्मा देखे भी जाते हैं इसलिये आत्मादि का निश्चय होता है ॥६३॥
विवेचन : भूतकाल में जातिस्मरण के सैकड़ों दृष्टान्त हम आगम ग्रंथों में पढ़ते हैं । आज