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केम लेवू उत्संग रे, अंगभर्यु एहनु, विषय कषाय अशुचिरों ए. (२९.) तो मुज करो पवित्र रे, कहो कोण पुत्रने, विण मावित्र पखालशे ए. (३०.) कृपा करी मुज देव रे, इहां लगे आणीयो, नरकनिगोदादिक थकी ए. (३१.) आव्या हवे हजुर रे, उभो थई रह्यो; सामुं श्ये जुओ नहीं ए. (३२.) आडो मांडी आज रे, बेठो बारणे, मावित्र तुमे मनावशो ए. (३३.) तुमे छो दयासमुद्र रे, तो मुजने देखी, दया नथी श्ये आणतां ए. (३४.) उवेखश्यो अरिहंत रे जो आणी वेला, तो महारी शी वले थशे ए. (३५.) ऊभां छे अनेक रे, मोहादिक वैरी, छल जुए छे माहरां ए. (३६.) तेहने वारो वेगे रे, देव दया करी; वली वली शुं वीनवं ए. (३७.) मरूदेवी निजमाय रे, वेगे मोकल्यां, गज बेसारी मुक्तिमां ए. (३८.) भरतेसर निज नंद रे; कीधो केवली; आरीसो अवलोकतां ए. (३९.) अठ्ठाणुं निज पुत्र रे, प्रतिबोध्यां प्रेमे, झूझ करतां वारीया ए. (४०.) बाहबलिने नेट रे, नाणकेवल तमे, सामी साहमु मोकल्युं ए. (४१.) इत्यादिक अवदात रे, सघळा तुम तणां, हुं जाणुं छु मूलगा ए. (४२.) म्हारी वेळा आज रे, मौनधरी बेठां, उत्तर शें आपो नहीं ए. (४३.) वीतराग अरिंहत रे, समतासागरुं, माहारां ताहरां शां करो ए. (४४.) एकवार महाराज रे, मुजने स्वमुखे, बोलावो सेवक कही ए. (४५.) अटले सिद्धां काज रे. सघलां माहरां, मनना मनोरथ सवि फल्याए. (४६.) खमजो मुज अपराध रे, आसंगो करी, असमंजस जे वीनव्युं ए. (४७.) अवसर पामी आज रे, जो नवि विनवू; तो पस्तावो मन रहे ए. (४८.) त्रिभुवन तारणहार रे, पुण्ये माहरां, आवी एकांते मल्या ए. (४९.) बालक बोले बोल रे, जेह विगतपणे, माय तातने ते रूचे ए. (५०.) नयणे निरख्यो नाथरे, नीभि नरिंदनो, नंदन नंदनवनजिस्यो ए. (५१.) मरुदेवीउरहंस रे, वंश ईख्खागनो, सोहाकरू सोहामणो ए. (५२.) माय ताय प्रभु मित्र रे, बंधव माहरो; जीव जीवन तुं वालहो ए. (५३.) अवर नको आधार रे, इणे जग तुज विना, त्राणशरण तुंधणी ए. (५४.) वली वलीकरुं प्रणाम रे, शरणे तुमतणे; परमेश्वर सन्मुख जुओ ए. (५५.) भव भव तुम पाय सेव रे, सेवकने देजो; हुं मागुं छु एटलुं ए. (५६.) श्रीकीर्तिविजय उवजाय रे सेवक एणिपेरे, विनयविनयकरीविनवे ए. (५७.)
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