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कर्ता : श्री पूज्य उदयरत्नजी महाराज 20बोल बोल रे प्रीतम ! मुजशुं, बोल ! म्हेल आंटो रे पगले पगले पीडे मुजने, प्रेमनो कांटो रे - बोल०(१) राजीमती कहे छोड छबीला ! मननो गांठो रे जिहां गांठो तिहां रस नहिं जिन, शेलडी सांठो रे-बोल०(२) नव-भवनो मुने आपने नेमजी ! नेहनो आंटो रे धोयो किम धोवाय ? जादवजी ! प्रीतनो छांटो रे - बोल० (३) नेम-राजुल बे मुगति पोहतां, विरह नाठो रे उदयरत्न कहे आप ने स्वामी, भवनो कांठो रे-बोल० (४)
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