________________
कर्ता : श्री पूज्य अमृतविजयजी महाराज प्यारो मनभावन मेरे दिल आवो रे-मेरे०प्यारो हृदयकमलमें ध्यान तो साढवो, मेरी अरज दिल लयवोरे-प्यारो०(१). पदमानंदन दिलदारंजनवो, तारक तुमही कहानवो-प्यारो०(२) भागजंजालतें कई कईक तारेवो, तिन कहा दिओजु बतावो रे-प्यारो०(३) अश्वके कारन निशी चले आयेवो, मेरे वखत न मनावो रे-प्यारो०(४) चरनशरनकी लाज निवहियेवो, अपनो करकेही ठरावो रे-प्यारो०(७) मुनिसुव्रत अमृतके स्वामीवो, ज्योतिसों ज्योति मिलावो रे-प्यारो०(६)
૨૪૦