________________
कर्ता : पूज्य श्री मोहनविजयजी महाराज शांतिजिणंद महाराज-जगतगुरु ! शांतिजिणंद महाराज अचिरानंदन भविमनरंजन, गुणनिधि गरीबनिवाज-जगत० (१) गर्भ थकी जिणे ईति निवारी, हरषित सुर नर कोडी जनम थये चोसठ ईंद्रादिक, पद प्रणमे कर जोडी जगत ० (२) मृगलंछन भविक तुष (दुःख) गंजन कंचनवान शरीर पंचमनाणी पंचम चक्री, सोळसमो जिन धीर-जगत० (३) रत्नजडित भूषण अतिसुंदर, आंगी उदार अति उछरंग भगति नौतन गती, उपशम रस दातार-जगत०(४) करुणानिधि भगवान कृपाकर, अनुभव उदित आवास रुप-विबुधनो मोहन पभणे, दीजे ज्ञान-विलास-जगत० (५)
१८०