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र्ता : श्री पूभ्य न्यायसागर महाराष्ट्र 15 મનમંદિર નાથ વસાઓ' ! રસિયા,-મન
તું હીજ હજાણે' લિખો કરિ ચોખું, દુરિત દોહગ રજ જાયેં ઘસિયા-મન૦(૧) મનમંદિર સાહિબ જબ વસિયા, ગુણ આવે સવિ ઘસમસિયા-મન૦(૨) દર્શન ફરશન દુર્લભ પામી, હૃદયકમળ મુજ ઉલ્લેસિયા - મન૦(૩) મનમોહન મનમંદિર બેસી, કર્મ અહિતકો લ્યે તસીયા-મન૦(૪) वासुपूभ्य नि मनमथारि भएगी, विषय-विहार अलगा जसीया - मनव (4) ન્યાયસાગર પ્રભુ સેવા કરતાં, અંતરંગ ગુણ સવિ હસિયા--મન૦(૬)
कर्ता : श्री पूज्य न्यायसागरजी महाराज -16
मनमंदिर नाथ वसाओ'। रसिया, मन०
तुंही जाणे लिखो करि चोखुं, दुरित दोहग रज जायें घसिया-मन० (१) मनमंदिर साहिब जब वसिया, गुण आवे सवि धसमसिया -मन० (२) दर्शन परशन दुर्लभ पामी, हृदयकमळ मुज उल्लसिया - मन० (३) मनमोहन मनमंदिर बेसी, कर्म अहितको ल्ये तसीया' - मन० (४) वासुपूज्य जिन मनमथारि जाणी, विषय-विकार अलगा खसीया - मन० (५) न्यायसागर प्रभु सेवा करतां, अंतरंग गुणसवि हसिया-मन० (६)
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