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[ ४१] कवडजन करे दिनराया, शत्रुजे सानिध शिवपददाया, गोमुख चक्क सरी राया । चंपक वरणी जेहनी काया, पिहरन नव रंग वेष बनाया, नाभि नंदन शिवमाया । श्री विजय देव सरि पाट सोहाया, श्री विजय प्रभसूरि पाट बधाया, अमृत वाणि सुणाया।हर्ष विजय कवि शिश सवाया, दर्भावतिमां सिद्धाचल गाया, लक्ष्मी विजय सुखपाया॥४॥
२१ दिवाली की स्तुती का जोडा
(राग-बीर जिनेसर अति अलवेसर) सुखर पुखर प्रोपग श्रोपाई, क्षत्रियकुड पुर राया जी । सिद्धारथ पटरानी त्रिशला, पुत्र चरम जिनराया जी ॥ संजम लेई कर्म खपेई, केवल कमला लेई जी। तीरथ थापी बहोतेर वरसे, पावापुर पावेइ जी ॥१॥ हस्तीपाल राजाई लेखक , शालाई चोमासे जी । सोल पहोर उपदिसी अमास्ये, निशि सा कार्तिक मासेजी ॥ शिवरमणि परण्या जिनवीर, भाव उद्योत अभावे जी । दव्य उद्योते दिवाली दिठी, ते जिन वंदु भावे जी ॥२॥ हस्तीपाल सानिधे घर घर, दीवाली प्रगटाई जी। मेराइया सर नर ने नारी, दिवई तिमिर मिटाई जी ।