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[३९] १८ शंखेश्वर पार्श्वनाथजी की स्तुति का जोडा
(राग–मनोहर मूर्ति महावीर तणी) श्री शंखेश्वर पासजी, प्रभु पुरो वंछीत आश जी । प्रभु पोष वदी दशमी जनमिया, चोसठ इन्द्र महोत्सव कीया॥१॥ शत्रुजय तीरथ ध्याइए, आबु देखी नवनिधि पाइए । समेत शिखर तीरथ वंदीए, अष्टापदनामे आणंदीये ॥२॥ समोसरणे बेठा पासजी, प्रभु नीलवरण तनु खासजी । पांत्रीश वाणी गुणे करी, सहु सांभले देशना हितकरी ॥३॥ पास चरण कमल सदा सेवति, धरणीधर ने पद्मावती । पंडित कुवर विजय तणो, कहे रविविजय वंछीत दीयो ॥४॥
१९ शांतिनाथ भगवान की स्तुति का जोडा
(राग-रघुपति राघव राजाराम) अचिरासुत वंदु मन रली, दुःख दोहग जाय सब टली । मन वंछित पहुँचई संपदा, सो शान्ति जिणंद सेयु सदा॥१॥ ऋषभ शन्ति जिन पुजइ, नेमि पास तणा गुण लीजिइ । चउविसमा वीरजिनेसरु, इम वन्दु सकल जिणेसरु ॥२॥ भव पार ताप निवारणि, सुख संपत्ति सोहग कारजी। संसार समुद्र एह तारणि, इसी वाणी शांति जिणंदनी ॥३॥ संघ सुपसन्न वंछित कारणी, शासनदेव हितदायिणी । श्री हीरविजयसूरिसरु, बुध रत्नविजय शीश जयकरु ॥४॥