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मौन अग्यारसी महिमा जाणी, कृष्ण आगले नेमिनाथ वखाणी, मनमांहि धरो शुभ प्राणी | अतीत अनागत ने वर्तमानी, नेउ जिनना हुआ कल्याणी, अवर न एह समाणी || मागसिर शुदि ग्यारसनी ठाणी, वरसी वारु दिन मन आणी, पर्वमांही पटरानी । महायश प्रमुख नाम शुम प्राणी, वारे करम अगनिनि छाणी, पापपंक विसराणी || २ ||
आगम मांही अरथ संभाली, गणधर देवे कही रढीयाली, ग्यारसी अजुवाली । भावधरी जिने प्रतिपाली, तेह घरी ऋद्धी वृद्धि सुविलाशी, गुण गाए सुर आली ॥ मौन करी आठ पहोर मनवाली, राग द्वेष सवि दूरे टाली, तपफल हुए टंकशाली । श्री जिन नामे पाप पखाली, पहेरी पवित्र वस्त्र विलासी, व्रत लिये पौषधशाली ||३||
मौन अग्यारसी दिन जे ध्याई, विधीपूर्व जिननाम गणाई, सुकृत भंडार भराई | वर्धमान जिनवर गुण गाई, सिद्धायिका मातंग जक्षराई, नामे विघन पलाई || एह सानिध्य संपूरण आय, पाप ताप संताप न थाय, वाधे बहु जस वाय । चविह संघ मनवांछित पाय, दुःख दोहग दुरगति सवि जाय, कहे राजरत्न उवज्झाय ॥ ४ ॥