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[१७] पूज्य पन्यासजी म. के पास करवाने के लिये २०१२ का चौमासा इन्दौर ३२ ठाणा के साथ हुआ। दोनों सूत्रों का योग और चौमासा आनन्द पूर्वक पूर्ण हुआ फिर अंतरिक्षजी की यात्रा करने के लिये १९ ठाणा ने खानदेश कि ओर विहार किया महू, बडवाह, खंडवा, बुहरानपुर, मल्कापुर, वालापुर अनुक्रमे अंतरिक्षजी पहोंचे अंतरीक्ष विगैरा की यात्रा करते हुए सुरत की ओर विहार किया कारण के परम पूज्य रंजनश्रीजी म. सुरत में ५२ छोड का उजमणा का महोत्सव करवाते थे वहां कि विनंती होने पर आकोला, अमलनेर, जलगांव, नंदनवार, व्यारा, वारडोली, वाजीपुर की यात्रा करते हुए सुरत पधारे । परम तपस्वीजी म. का अति आग्रह होने से दो मास वहां रुके गच्छाधिपति म. के व्याख्यान आदि का लाभ लेकर नूतन साध्वीयों को नवाणु चौमासा करवाने के लिए पालीताणा कि ओर विहार किया। सं. २०१३ का चौमासा गिरीराज में किया । पालीताणा शत्रुजय विहार में ठहरे
आनन्द पूर्वक नवाणु यात्रा चौमासा किया और करवाया। पालीताणा से विहार करके राणपुर, वाडवान, उपरियाला जी, भोयणीजी, शेरीसाजी, शंखेश्वराजी, बामजू, रामपुरा आदि की यात्रा करते हुए अहमदाबाद पधारे। परम प. तपस्वीजी म. को वन्दन व मन्दिरों के दर्शन करके मालवा