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( १२ ) आधार . १० । सां० । प्रभु तणां चरण भेट्यां पछे जी, अवर न कोई दाय । लाख रो लाल पहिरे जिके जी, फूट रो स्फटिक न सुहाय । ११ । सा० । रतन चिन्तामणी दोहिलोजी, पारस किहां मिले अाज । नमिने नाम बेहू मिल्या जी, माहरे हाथ महाराज । १२ । सां० । धन घडी धन दिवस मास तेजी, वरस पिण धन गिरों तेह । इहां कैसे दरसण ताहरोजी निरखीये नयण धरि नेह । १३ । सां०। एहवो ध्यान रहज्यो सदा जी, रात दिन माहरेजी चित्त । समकित कारण तूं सही जी, यह मुझ अधिक प्रतीत । १४ । सां० । परतिख पास चिन्तामणी जी, घरकाणापुर जाण । श्री जिन रंग गुण गावतां जी, जीवित जन्म प्रमाण । १५ । सां० ॥ इति ॥
॥ दहा बहत्तरी ॥
लोचन प्यारे पलक कू करदो बल्लभ गात। जिन रंग सज्जन ते कया और बात की बात ॥ १॥ ज्ञानी को मन स्फटिक सों जिन रंग सजन दाख। मन कपटी अरु नारि को ज्यों गहणा की लाख ॥ २॥ अग्ना अपना क्या करे अपनो नाहिं शरीर । जिन रंग माया जगत की ज्यों अँजली को नीर ॥ ३ ॥ जग में प्रेम अनूर है जइकर जाणे कोय । जिन रंग परजन सु मिल्या कब हूँ प्रेम न होय ॥ ४ ॥ गरुत्रा सहिजे गुण करे कदे न दाखे छेह । कुण निपावे सरभरे कुण कारण कहुँ मेह ॥ ५ ॥ जिन रंग दोष न दीजिये देख